पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और सात विधायकों के खिलाफ 2020 में दर्ज दंगा और अवैध सभा से जुड़े मामले को रद्द कर दिया। यह मामला 10 जनवरी 2020 का था, जब चंडीगढ़ पुलिस ने बिजली दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ सेक्टर-4 स्थित MLA हॉस्टल के पास हुए प्रदर्शन के दौरान मान व अन्य AAP विधायकों पर दंगा, हमला और पुलिस कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज की थी।
जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने फैसले में कहा कि प्रथम दृष्टया भी किसी आरोप की आवश्यक शर्तें पूरी नहीं होतीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि आरोपित अपराधों के “किसी भी तत्व” के मामला में प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है।
चंडीगढ़ पुलिस ने सेक्टर-3 थाने में IPC की धारा 147, 149, 332 और 353 के तहत चार्जशीट दायर की थी। वरिष्ठ अधिवक्ता अनमोल रतन सिद्धू, जो मान की ओर से पेश हुए, ने दलील दी कि धारा 144 लागू न होने पर पुलिस शांतिपूर्ण प्रदर्शन को नहीं रोक सकती थी। उन्होंने यह भी कहा कि धारा 332 और 353 के अपराधों के आवश्यक तत्व मौजूद नहीं थे।
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राज्य पक्ष ने दावा किया कि पुलिस अधिकारियों पर हमला हुआ था और वे घायल हुए थे, तथा भीड़ को उकसाया गया था।
कोर्ट ने पाया कि चार्जशीट में CM मान या अन्य विधायकों की किसी प्रत्यक्ष भूमिका का कोई साक्ष्य नहीं है। पुलिस यह भी साबित नहीं कर पाई कि प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मियों की चोटों के लिए वे जिम्मेदार थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्थरबाजी का आरोप भी बिना आधार के लगाया गया था और भीड़ के आक्रोश का कारण उन पर डाली गई।
अंततः हाईकोर्ट ने FIR, चार्जशीट और सभी आगे की कार्यवाही रद्द कर दी।
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