लैब में विकसित कोशिकाओं से टाइप 1 डायबिटीज़ के मरीजों में इंसुलिन बहाल होने की उम्मीद
टाइप 1 डायबिटीज़ के मरीजों पर किए गए एक छोटे ट्रायल में लैब में विकसित कोशिकाओं से इंसुलिन उत्पादन फिर से शुरू हुआ, जिससे ब्लड शुगर नियंत्रण में सुधार देखा गया।
टाइप 1 डायबिटीज़ के उपचार में एक नई उम्मीद जागी है। हाल ही में The New England Journal of Medicine में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि लैब में विकसित कोशिकाओं की मदद से गंभीर और पुरानी डायबिटीज़ से पीड़ित मरीजों में फिर से इंसुलिन उत्पादन शुरू हुआ है।
इस छोटे से क्लिनिकल ट्रायल में 12 ऐसे मरीजों को शामिल किया गया था जो वर्षों से टाइप 1 डायबिटीज़ से जूझ रहे थे। इनमें एक नई थैरेपी जिमिस्लेसेल (zimislecel) का प्रयोग किया गया, जिसमें स्टेम सेल्स से विकसित इंसुलिन-उत्पादक आइसलेट कोशिकाओं को मरीजों के लिवर में इन्फ्यूज़ किया गया।
परिणाम चौंकाने वाले और उत्साहजनक रहे—इन मरीजों के शरीर ने फिर से प्राकृतिक रूप से इंसुलिन बनाना शुरू कर दिया। इससे उनका ब्लड शुगर नियंत्रण बेहतर हुआ और अचानक ब्लड शुगर के खतरनाक गिरावट (हाइपोग्लाइसीमिया) की घटनाएं भी कम हुईं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह खोज डायबिटीज़ के इलाज की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम हो सकती है। हालांकि, अभी यह थैरेपी शुरुआती चरण में है और बड़े पैमाने पर परीक्षण और दीर्घकालिक निगरानी की ज़रूरत है, लेकिन इसके शुरुआती परिणाम काफी सकारात्मक हैं।
अगर आगे भी यह थैरेपी सफल रहती है, तो यह लाखों टाइप 1 डायबिटीज़ मरीजों के जीवन में बदलाव ला सकती है, जो अभी तक जीवनभर इंसुलिन इंजेक्शन पर निर्भर रहते हैं।