जवाहरलाल नेहरू की विरासत को बदनाम करने की सुनियोजित कोशिश: सोनिया गांधी
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि जवाहरलाल नेहरू की विरासत को बदनाम करने का संगठित अभियान चल रहा है और इतिहास को राजनीतिक लाभ के लिए तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है।
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की विरासत को कमतर दिखाने और बदनाम करने का एक ‘‘संगठित और सुनियोजित प्रोजेक्ट’’ चलाया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह एक व्यापक अभियान है, जिसमें कुछ वैचारिक समूह नेहरू के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान और आधुनिक भारत के निर्माण में उनकी भूमिका को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं।
नई दिल्ली में नेहरू सेंटर इंडिया के शुभारंभ समारोह में बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा, “हम नेहरू जी के योगदान पर नए शोध और विश्लेषण का स्वागत करते हैं, लेकिन जो स्वीकार्य नहीं है, वह है उनके कार्यों को बदनाम करने, गलत तरीके से प्रस्तुत करने और भ्रम फैलाने की निरंतर और सुनियोजित कोशिश।”
उन्होंने कहा कि यह अभियान सिर्फ इतिहास को विकृत करने की कोशिश नहीं है, बल्कि यह वर्तमान सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा अपने ‘‘राजनीतिक हितों’’ को साधने का तरीका भी है। उनके अनुसार, नेहरू की बहुआयामी विरासत—लोकतंत्र, वैज्ञानिक सोच, धर्मनिरपेक्षता, संस्थाओं की मजबूती—इन सबको कमजोर करने की कोशिश की जा रही है ताकि देश की पीढ़ियां इतिहास को सीमित और पक्षपाती दृष्टिकोण से देखें।
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सोनिया गांधी ने टिप्पणी की कि नेहरू न केवल स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे, बल्कि उन्होंने भारत को आधुनिकता की दिशा में ले जाने वाली नीतियों और संस्थाओं की नींव रखी। उन्होंने कहा कि यदि इन ऐतिहासिक योगदानों को “राजनीतिक चश्मे” से देखा जाएगा तो इतिहास के साथ न्याय नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि वर्तमान शासन द्वारा इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा है और इसे जनता को पहचानने की आवश्यकता है।
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