कोलकाता हाईकोर्ट ने 32,000 प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने का आदेश रद्द किया
कोलकाता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि केवल सीमित नियुक्तियों में अनियमितता साबित हुई है, इसलिए 32,000 शिक्षकों की नौकरियाँ रद्द नहीं होंगी। मामले की जांच केवल संदिग्ध नियुक्तियों तक सीमित रहेगी।
कोलकाता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने बुधवार (3 दिसंबर 2025) को राज्य के 32,000 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने के एकल पीठ के पूर्व आदेश को निरस्त कर दिया। ये सभी शिक्षक वर्ष 2014 की टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) के माध्यम से नियुक्त हुए थे।
डिवीजन बेंच, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती ने की, ने कहा कि सभी नियुक्तियों में अनियमितताओं के प्रमाण नहीं मिले हैं। इसलिए नियुक्तियां रद्द करने का आदेश स्वीकार नहीं किया जा सकता। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि नौ वर्षों की सेवा के बाद शिक्षकों की नौकरी समाप्त करना न केवल उनके लिए, बल्कि उनके परिवारों के लिए भी गंभीर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
अदालत ने कहा कि सीबीआई जांच में अब तक केवल 264 नियुक्तियों में अनियमितता का पता चला है। बाद में 96 और शिक्षकों के नाम जांच के दायरे में आए। ऐसे में पूरे चयन प्रक्रिया को रद्द करना न्यायसंगत नहीं है।
और पढ़ें: बलात्कार मामले में केरल के विधायक राहुल ममकूटाथिल की जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 4 दिसंबर को
यह मामला मई 2023 में उस समय सामने आया था जब एकल पीठ, जिसका नेतृत्व जस्टिस अभिजीत गांगुली ने किया था, ने 32,000 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति को अवैध बताते हुए रद्द कर दिया था। आदेश में कहा गया था कि नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं, इसलिए पूरा पैनल रद्द किया जाना चाहिए।
हालाँकि, डिवीजन बेंच ने कहा कि न्यायिक हस्तक्षेप का उद्देश्य केवल त्रुटियों को ठीक करना है, न कि निर्दोष लोगों को नुकसान पहुंचाना। न्यायालय ने यह भी माना कि अधिकांश शिक्षकों ने कई वर्षों तक अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन किया है, इसलिए सभी की नियुक्तियां रद्द करना उचित नहीं है।
अदालत ने राज्य सरकार और सीबीआई को निर्देश दिया कि जिन नियुक्तियों में अनियमितताओं के स्पष्ट प्रमाण हैं, केवल उन्हीं पर कार्रवाई की जाए।
और पढ़ें: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में मुठभेड़: पांच माओवादी ढेर, DRG का एक जवान शहीद