भारतीय नौसेना को स्वदेशी स्टील्थ फ्रिगेट तारागिरी की सुपुर्दगी, आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम
स्वदेशी स्टील्थ फ्रिगेट ‘तारागिरी’ भारतीय नौसेना को सौंपा गया। उन्नत हथियार, सेंसर, स्टील्थ तकनीक और 75% स्वदेशीकरण के साथ यह युद्धपोत आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण का महत्वपूर्ण उदाहरण है।
भारतीय नौसेना को उन्नत एवं स्वदेशी स्टील्थ फ्रिगेट ‘तारागिरी’ की सुपुर्दगी कर दी गई है, जिसे आधुनिक युद्धक क्षमताओं से लैस किया गया है। शनिवार, 29 नवंबर 2025 को इसकी जानकारी अधिकारियों द्वारा दी गई। यह नीलगिरी-क्लास (प्रोजेक्ट 17A) का चौथा और मजगांव डॉक शिपबिल्डिंग लिमिटेड (MDL) द्वारा निर्मित तीसरा युद्धपोत है। 28 नवंबर को मुंबई स्थित एमडीएल शिपयार्ड में इसे नौसेना को सौंपा गया, जो युद्धपोत निर्माण में ‘आत्मनिर्भरता’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
नौसेना के अनुसार ‘तारागिरी’ उन्नत डिजाइन, स्टील्थ फीचर्स, स्वचालन, फायरपावर और युद्धक क्षमता के मामले में “क्वांटम लीप” दर्शाता है। प्रोजेक्ट 17A के जहाजों को मल्टी-मिशन प्लेटफॉर्म के रूप में विकसित किया गया है, जो वर्तमान और भविष्य की समुद्री चुनौतियों का बेहतर ढंग से सामना कर सके।
इस फ्रिगेट में ब्रह्मोस मिसाइल, एमएफ़स्टार रडार, एमआरएसएएम प्रणाली, 30 मिमी और 12.7 मिमी वेपन सिस्टम, रॉकेट एवं टॉरपीडो जैसे अत्याधुनिक हथियार शामिल हैं, जो इसे एंटी-सबमरीन वारफेयर के लिए भी सक्षम बनाते हैं।
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नौसेना के अनुसार, पिछले 11 महीनों में यह चौथा P17A जहाज है जिसकी डिलीवरी हुई है। पहले दो जहाजों के निर्माण से मिली तकनीकी विशेषज्ञता के कारण ‘तारागिरी’ का निर्माण समय 93 महीनों से घटकर 81 महीने हो गया। प्रोजेक्ट 17A के शेष तीन जहाज 2026 तक चरणबद्ध तरीके से नौसेना को सौंपे जाएंगे।
‘तारागिरी’ पूर्व INS तारागिरी का आधुनिक संस्करण है, जो 1980 से 2013 तक 33 वर्षों तक नौसेना का हिस्सा रहा। उन्नत इंजन, सेंसर, CODOG प्रणोदन प्रणाली और 75% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ यह जहाज भारत की शिपबिल्डिंग क्षमता और तकनीकी कौशल का प्रतीक है। इस परियोजना में 200 से अधिक MSMEs जुड़े होने से सीधे 4,000 और परोक्ष रूप से 10,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।
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