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झारखंड हाईकोर्ट ने छह पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में दो माओवादियों की फांसी पर सुनाया विभाजित फैसला

झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने छह पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में दो माओवादियों को दी गई फांसी की सजा पर विभाजित फैसला सुनाया, मामला अब तीसरे न्यायाधीश के पास जाएगा।

झारखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने वर्ष 2013 में पुलिस दल पर हमले के मामले में दो माओवादियों को सुनाई गई फांसी की सजा के खिलाफ दायर अपील पर विभाजित फैसला सुनाया है। इस हमले में पाकुड़ के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अमरजीत बलिहार समेत छह पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे

मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आनंद सेन की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। फैसले में एक न्यायाधीश ने सजा को बरकरार रखा, जबकि दूसरे न्यायाधीश ने दोषियों को राहत देने की बात कही। इस कारण मामला अब तीसरे न्यायाधीश को भेजा जाएगा, जो अंतिम निर्णय देंगे।

यह मामला 2 जुलाई 2013 का है, जब पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार और उनकी टीम लिट्टीपाड़ा में एक बैठक से लौट रही थी। इसी दौरान माओवादियों ने घात लगाकर हमला किया था, जिसमें छह पुलिसकर्मी मारे गए थे और कई घायल हुए थे। इस हमले को गंभीर अपराध मानते हुए निचली अदालत ने दो माओवादियों को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी

हालांकि दोषियों ने इस सजा को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। अब उच्च न्यायालय की खंडपीठ में मतभेद के चलते अंतिम निर्णय लंबित है।

यह मामला न केवल राज्य की कानून व्यवस्था, बल्कि न्यायिक प्रणाली की निष्पक्षता के लिए भी एक अहम परीक्षण बन गया है।

 
 
 
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