चंडीगढ़ में सीधे चुने हुए मेयर के लिए 5 साल का कार्यकाल प्रस्तावित: मनीष तिवारी ने बिल पेश किया
मनीष तिवारी ने चंडीगढ़ में सीधे चुने जाने वाले मेयर और अन्य पदों के लिए पाँच वर्षीय कार्यकाल का विधेयक पेश किया, जिससे नगर निगम में स्थिरता और अधिकार बढ़ाने का प्रस्ताव है।
चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी ने शुक्रवार को लोकसभा में एक व्यापक संशोधन विधेयक पेश किया, जिसका उद्देश्य शहर में मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर को जनता द्वारा सीधे चुने जाने का अधिकार देना है। इस प्रस्तावित बदलाव के तहत इन पदों का कार्यकाल भी एक साल से बढ़ाकर पाँच वर्ष करने की मांग की गई है।
वर्तमान व्यवस्था के तहत चंडीगढ़ में मेयर का चुनाव नगर निगम के चुने हुए पार्षदों में से होता है और उसका कार्यकाल केवल एक वर्ष का होता है। इस वजह से न केवल नेतृत्व में लगातार बदलाव होता है, बल्कि कई बार प्रशासनिक निरंतरता और दीर्घकालिक योजनाओं पर काम प्रभावित होने की शिकायतें भी उठती रही हैं।
मनीष तिवारी द्वारा पेश किया गया यह विधेयक चंडीगढ़ नगर निगम की संरचना में व्यापक सुधार का प्रयास है। उन्होंने कहा कि नगर निगम जैसे महत्वपूर्ण निकाय में जनता के सीधे चुने हुए प्रतिनिधियों को अधिक अधिकार और स्थिरता मिलनी चाहिए। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि विकास कार्यों की गति और जवाबदेही भी मजबूत होगी।
विधेयक में यह भी प्रस्तावित किया गया है कि चुने हुए प्रतिनिधियों की भूमिका को सुदृढ़ किया जाए, ताकि वे शहर के विकास एवं प्रशासन से संबंधित निर्णयों में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकें। मनीष तिवारी ने एंटी-डिफेक्शन कानून में संशोधन के संदर्भ में भी बात की और इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को अधिक मजबूत बनाने के लिए आवश्यक बताया।
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यह कदम चंडीगढ़ की उस अनोखी और विवादित व्यवस्था को समाप्त करने की दिशा में माना जा रहा है, जिसके कारण यहां हर साल मेयर बदल जाता है। पाँच साल के सीधे चुने हुए नेतृत्व से शहर को स्थिर प्रशासन मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
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