अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मध्यस्थता में कांगो और रवांडा ने पूर्वी कांगो में जारी संघर्ष को समाप्त करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता महीनों से चल रही वार्ताओं, अफ्रीकी संघ, क़तर और अमेरिकी प्रयासों का परिणाम है तथा जून 2025 के प्रारंभिक करार को औपचारिक रूप देता है। ट्रम्प ने दोनों देशों के नेताओं—कांगो के फेलिक्स त्शिसेकेदी और रवांडा के पॉल कागामे—की “साहसिक पहल” की सराहना की और इसे “अफ्रीका तथा दुनिया के लिए महान दिन” बताया।
यह समझौता अमेरिकी कंपनियों और सरकार को क्षेत्र के महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों तक पहुंच का मार्ग भी देगा। ट्रम्प ने दावा किया कि यह करार “दशकों की हिंसा” समाप्त कर आर्थिक सहयोग का नया अध्याय खोलेगा और अमेरिका के लिए बड़े अवसर पैदा करेगा।
हालांकि, इस शांति प्रक्रिया पर संदेह भी बना हुआ है। कांगो में 100 से अधिक सशस्त्र समूह सक्रिय हैं, जिनमें रवांडा समर्थित एम23 सबसे शक्तिशाली है। इस वर्ष एम23 ने गोमा और बुकावू जैसे प्रमुख शहरों पर कब्ज़ा कर मानवीय संकट को और गहरा कर दिया। कई क्षेत्रों में समझौते के बावजूद लड़ाई जारी है। स्थानीय लोगों और विश्लेषकों का कहना है कि जब तक मोर्चे सक्रिय हैं, स्थायी शांति संभव नहीं।
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समारोह के दौरान दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से हाथ तक नहीं मिलाया, लेकिन दोनों ने माना कि यह “कठिन लेकिन आवश्यक मार्ग की शुरुआत” है। अमेरिका ने इस अवसर पर कांगो और रवांडा के साथ महत्वपूर्ण खनिजों तक पहुंच से जुड़े द्विपक्षीय समझौतों की भी घोषणा की, जो तीनों देशों की अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक होंगे।
क्षेत्र के दुर्लभ खनिजों पर चीन के प्रभुत्व को देखते हुए यह समझौता वॉशिंगटन की रणनीति के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि, पूर्वी कांगो में झड़पें और मानवीय संकट अब भी जारी हैं, जिससे शांति लागू होने में समय लगने की संभावना है।
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