उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के 12 मज़दूरों के किर्गिस्तान में फंसे होने और उत्पीड़न झेलने की खबर सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने इस पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट राज्य के गृह विभाग को भेज दी है। अधिकारियों के अनुसार, मज़दूरों के परिवारों ने आरोप लगाया है कि विदेश में उनके साथ मारपीट की जा रही है और वापस लाने के लिए स्थानीय एजेंट 2 लाख रुपये तक की मांग कर रहे हैं।
जिला मजिस्ट्रेट ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि गृह विभाग ने तथ्यात्मक विवरण मांगा था, जिसके बाद पुलिस अधीक्षक को जांच का निर्देश दिया गया। सभी 12 लोगों की जानकारी एकत्र कर सरकार को भेज दी गई है ताकि उनकी सुरक्षित वापसी की प्रक्रिया शुरू की जा सके।
परिवारों ने बताया कि पीड़ित मज़दूर — रवि कुमार, अजय, चंद्रपाल, सन्तराम, रोहित, रमेश, हर्सवरूप, श्यामचरण, संजीव, प्रेमपाल, रमासरे और हरिशंकर — को तीन महीने पहले स्थानीय एजेंटों द्वारा 2.5 लाख रुपये लेकर 59 दिन के वीज़ा पर भेजा गया था। उन्हें गलत अनुबंध दिखाए गए और अब उन्हें अलग-अलग शहरों में जबरन काम कराया जा रहा है।
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परिजनों का कहना है कि मजदूरों को उचित भोजन नहीं दिया जा रहा, उन्हें वापस आने से रोका जा रहा है और कई बार उनकी पिटाई भी की गई है। पीड़ित मज़दूर लगातार वीडियो संदेश भेजकर भारत सरकार से बचाव की गुहार लगा रहे हैं।
एसपी अभिषेक यादव ने पुष्टि की कि मामले की जांच सीओ सिटी दीपक चतुर्वेदी को सौंपी गई है। परिवारों ने लिखित शिकायत दी है कि एक स्थानीय भर्ती एजेंसी और उसके प्रतिनिधियों ने झूठे वादों के साथ मजदूरों को विदेश भेजा।
अधिकारियों ने कहा कि सभी मज़दूर जल्द से जल्द भारत लौटना चाहते हैं और उनके वीडियो संदेश जांच का हिस्सा हैं। प्रशासन द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार उनकी प्रत्यावर्तन प्रक्रिया शुरू करेगी।
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