कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के तेज़ी से बढ़ते प्रभाव के बीच, दुनियाभर के माता-पिता एक नई चुनौती का सामना कर रहे हैं—अपने बच्चों के भविष्य को लेकर सही निर्णय लेने की। जहां AI शैक्षणिक और पेशेवर क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है, वहीं यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि क्या यह तकनीक बच्चों के विकास के लिए वरदान है या खतरा।
कई माता-पिता इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि बच्चों को AI आधारित टूल्स और लर्निंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करने देना चाहिए या नहीं। एक ओर, ये तकनीकें छात्रों को तेज़ी से सीखने और प्रतिस्पर्धी बनने में मदद कर सकती हैं, लेकिन दूसरी ओर, स्क्रीन टाइम, सोचने की स्वतंत्रता और मौलिकता पर इसके प्रभाव को लेकर गहरी चिंता भी है।
कुछ माता-पिता मानते हैं कि बच्चों को AI से जुड़े कौशल सीखने की ज़रूरत है, क्योंकि यही भविष्य की मांग होगी। वहीं, अन्य माता-पिता पारंपरिक शिक्षा प्रणाली और मानवीय संपर्क को अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि AI का संतुलित उपयोग ही इसका समाधान हो सकता है। माता-पिता को बच्चों के डिजिटल उपभोग की निगरानी करते हुए उन्हें रचनात्मक और नैतिक सोच के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
इस तकनीकी युग में, अभिभावकों के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या वे AI को अपने बच्चों के लिए मार्गदर्शक बनने देंगे या उससे एक सुरक्षित दूरी बनाकर रखेंगे? निर्णय मुश्किल है, लेकिन अनिवार्य भी।