सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने संसद में बताया कि देश के किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से मैन्युअल स्कैवेंजिंग (हाथ से मैला उठाने) की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सितंबर 2023 में एक सामाजिक ऑडिट का आदेश दिया था, जिसका उद्देश्य स्वच्छता कर्मियों की मौतों का अध्ययन करना था।
आठवले ने बताया कि इस सामाजिक ऑडिट को राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NSKM) द्वारा कार्यान्वित किया गया, जिससे यह समझा जा सके कि स्वच्छता कार्यकर्ताओं की काम की परिस्थितियां और सुरक्षा उपाय कैसे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार मैन्युअल स्कैवेंजिंग जैसी अमानवीय प्रथा को पूरी तरह समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हालांकि मैन्युअल स्कैवेंजिंग पर आधिकारिक तौर पर कोई नई रिपोर्ट नहीं मिली है, फिर भी कई मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का दावा है कि देश के विभिन्न हिस्सों में यह प्रथा अब भी जारी है, विशेषकर सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान।
सरकार ने यह स्पष्ट किया कि मैन्युअल स्कैवेंजिंग (हाथ से मानव मल साफ करने) पर 2013 के कानून के तहत पूरी तरह प्रतिबंध है और इसके उल्लंघन पर सख्त सजा का प्रावधान है।
इस विषय पर राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने चिंता जताई और सरकार से ज़मीनी स्तर पर कार्यान्वयन की पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की।