दिल्ली में हुई विपक्षी दलों की अहम बैठक में कई बड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में CPI नेता डी. राजा ने राहुल गांधी की उस टिप्पणी पर अप्रत्यक्ष नाराजगी जताई, जिसमें उन्होंने केरल में वामपंथी विचारधारा की तुलना RSS से की थी। उन्होंने याद दिलाया कि सहयोगी दलों में आलोचना की एक सीमा होनी चाहिए, विशेषकर गठबंधन की राजनीति में।
शरद पवार, उद्धव ठाकरे और रामगोपाल यादव जैसे वरिष्ठ नेताओं ने नियमित समन्वय बैठकें आयोजित करने की मांग की। उनका मानना है कि रणनीति निर्माण के लिए बार-बार बातचीत ज़रूरी है। अगली बैठक अगस्त की शुरुआत में हो सकती है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस दिलाने की मांग संसद में उठाने का आग्रह किया, जिसे अधिकतर दलों ने समर्थन दिया। वहीं, हालिया पहलगाम आतंकी हमले को राष्ट्रीय सुरक्षा में गंभीर चूक बताते हुए इसे संसद में उठाने का निर्णय लिया गया।
CPI(ML) के dipankar bhattacharya ने माओवादी संघर्ष और हालिया संघर्षविराम प्रस्ताव पर संसद में विस्तृत चर्चा की मांग की। टीएमसी के अभिषेक बनर्जी ने इंटेलिजेंस विफलता, पेगासस जासूसी और बिहार में NRC जैसे मामलों पर सरकार को घेरा।
बैठक में AAP की गैरमौजूदगी ने अटकलें बढ़ाईं कि पार्टी गठबंधन से दूरी बना रही है। कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने ट्रंप के भारत-पाक सीज़फायर दावे पर चुप्पी को लेकर भी चिंता जताई।
सभी दलों ने एकमत से कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में है और बिहार में NRC जैसे कदम लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय हैं