सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस की आलोचना की गई है क्योंकि उन्होंने जस्टिस वर्मा निवास पर हुई आग की घटना के संबंध में FIR दर्ज नहीं की। यह आग 14-15 मार्च की रात को लगी थी और उस पर अब तक कोई औपचारिक कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस और फायर डिपार्टमेंट ने इस गंभीर घटना को अनदेखा किया और न तो कोई जब्ती पंचनामा (seizure memo) तैयार किया गया और न ही घटना स्थल पर पाए गए साक्ष्यों का उचित रिकॉर्ड रखा गया।
इस घटना की जांच के लिए गठित जांच समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पुलिस और अग्निशमन विभाग की कार्यवाही लापरवाह (slipshod) रही। रिपोर्ट के अनुसार, यह बेहद जरूरी था कि आग लगने के बाद जो भी सबूत मौके पर मिले, उनका दस्तावेजीकरण होता और FIR के ज़रिये कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाती।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह इस मामले में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के आदेश दे, और यह सुनिश्चित करे कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
यह मामला न केवल एक गंभीर सुरक्षा चूक को दर्शाता है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि जब किसी वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी के आवास पर ऐसी घटना होती है, तो भी कानून की मूल प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख जल्द तय होने की संभावना है।