हिंदी सिनेमा का चंचल हास्य खो गया, असरानी नहीं रहे
हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध हास्य अभिनेता असरानी का निधन हो गया। 400 से अधिक फिल्मों में अभिनय करने वाले असरानी ने अपनी अनोखी शैली से दर्शकों के दिलों पर राज किया।
हिंदी सिनेमा के दिग्गज हास्य कलाकार गोवर्धन असरानी का निधन फिल्म जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। असरानी ने अपने अद्वितीय अभिनय और समय पर संवादों की प्रस्तुति से हिंदी फिल्मों में हास्य को एक नया आयाम दिया। उन्होंने अपने चार दशकों से अधिक लंबे करियर में 400 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और हर किरदार में अपनी विशिष्ट छाप छोड़ी।
असरानी अपनी बेमिसाल हास्य अभिव्यक्ति, चेहरे के भाव और सामान्य पात्रों को चुटीलेपन के साथ जीवंत करने की कला के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें केवल ‘साइड कैरेक्टर’ की परिभाषा तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उन्होंने प्रमुख नायकों के साथ बराबरी से परदे पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। चाहे राजेश खन्ना हों, अमिताभ बच्चन या जितेन्द्र — असरानी ने 1970 और 1980 के दशक के सिनेमा में इन सितारों के साथ अमिट छाप छोड़ी।
1 जनवरी 1941 को जयपुर में सिंधी परिवार में जन्मे असरानी को अपने पिता के कालीन व्यवसाय में रुचि नहीं थी। वे अभिनय के माध्यम से सपनों को गढ़ना चाहते थे। उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो से अपने करियर की शुरुआत की और फिर फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) में दाखिला लिया। वहां अभिनय गुरु रोशन तनेजा ने उनकी प्रतिभा को निखारा और प्रसिद्ध निर्देशक हृषिकेश मुखर्जी ने उनमें ‘कॉमन मैन’ सिनेमा का आकर्षण देखा।
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असरानी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि सच्ची प्रतिभा समय और पीढ़ियों से परे होती है। उनका जाना हिंदी सिनेमा के स्वर्ण युग के हास्य का अंत जैसा है।