×
 

अंतरराष्ट्रीय मदद में कटौती से अफगानिस्तान में गहराता मानवीय संकट, लाखों लोग भुखमरी की कगार पर

अंतरराष्ट्रीय सहायता में कटौती, आर्थिक संकट और शरणार्थियों की वापसी से अफगानिस्तान में लाखों लोग गंभीर भुखमरी का सामना कर रहे हैं, जिससे मानवीय संकट लगातार गहराता जा रहा है।

अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय सहायता में भारी कटौती के चलते मानवीय संकट और गहराता जा रहा है, जिससे लाखों लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं। कमजोर अर्थव्यवस्था, बार-बार पड़ने वाले सूखे, दो विनाशकारी भूकंप और ईरान व पाकिस्तान जैसे देशों से बड़ी संख्या में लौटे शरणार्थियों ने हालात को और गंभीर बना दिया है।

पूर्वी काबुल में रहने वाले रहीमुल्लाह रोज़ करीब 10 घंटे ठेले पर मोज़े बेचते हैं और दिनभर में केवल 4.5 से 6 डॉलर कमा पाते हैं। इसी मामूली आमदनी से वे अपने पांच सदस्यों वाले परिवार का पेट पालने की कोशिश कर रहे हैं। रहीमुल्लाह उन करोड़ों अफगानों में शामिल हैं, जिनका जीवन सरकारी और अंतरराष्ट्रीय मानवीय सहायता पर निर्भर है।

अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति के अनुसार, 2025 में अफगानिस्तान की लगभग आधी आबादी यानी 2.29 करोड़ लोगों को सहायता की जरूरत थी। लेकिन अमेरिकी सहायता सहित कई अंतरराष्ट्रीय फंड में कटौती और संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम जैसी योजनाओं के रुकने से यह जीवनरेखा टूट गई है। विश्व खाद्य कार्यक्रम ने चेतावनी दी है कि इस सर्दी में 1.7 करोड़ से अधिक लोग गंभीर भूख संकट का सामना कर रहे हैं।

और पढ़ें: आईजीएमसी शिमला में झड़प के बाद डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल, हिमाचल में चिकित्सा सेवाएं प्रभावित

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय प्रमुख टॉम फ्लेचर ने कहा कि हालात ‘एक के बाद एक झटकों’ से और खराब हुए हैं। उन्होंने बताया कि 2025 की सर्दी कई वर्षों में पहली ऐसी सर्दी है, जब लगभग कोई अंतरराष्ट्रीय खाद्य वितरण नहीं हुआ। नतीजतन, इस साल केवल 10 लाख सबसे जरूरतमंद लोगों को ही खाद्य सहायता मिल सकी, जबकि पिछले साल यह संख्या 56 लाख थी।

शरणार्थियों की वापसी से किराए और रहने की लागत भी तेजी से बढ़ी है। रहीमुल्लाह का किराया लगभग दोगुना हो गया है, जिसे वह चुका नहीं सकते। तालिबान शासन के बाद महिलाओं पर लगे प्रतिबंधों के कारण उनकी पत्नी भी बेरोज़गार हो गई हैं।

उत्तरी बदख्शां प्रांत में शेरिन गुल की स्थिति भी बेहद दयनीय है। 12 सदस्यों वाले परिवार के लिए कभी मिली सहायता अब खत्म हो चुकी है। कई बार उनके बच्चों को भूखे पेट सोना पड़ता है। कड़ाके की सर्दी, काम की कमी और ईंधन का खर्च उनकी मुश्किलें और बढ़ा रहा है। यदि हालात नहीं बदले, तो अफगानिस्तान में भुखमरी और मानवीय संकट और गहरा सकता है।

और पढ़ें: जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय परिसर में युवती से दुष्कर्म, दो आरोपी गिरफ्तार

 
 
 
Gallery Gallery Videos Videos Share on WhatsApp Share