बुनकरों की बस्ती अनाकापुथुर अब विकास की दहलीज पर
चेन्नई के पास स्थित अनाकापुथुर, जो कभी मशहूर हाथकरघा बुनकरों का केंद्र था, अब सरकारी पहल और आधुनिक तकनीक से विकास की नई राह पर आगे बढ़ रहा है।
तमिलनाडु के चेन्नई के पास स्थित अनाकापुथुर, जो कभी बुनकरों की प्रमुख बस्ती के रूप में प्रसिद्ध था, अब विकास की नई राह पर आगे बढ़ने को तैयार है। यह इलाका पारंपरिक रूप से हाथकरघा उद्योग का केंद्र रहा है, जहां से मशहूर "रियल मद्रास हैंडकरचीफ", "ब्लीडिंग मद्रास" और "मद्रास चेक्स" का उत्पादन होता था। ये कपड़े न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपनी खास पहचान रखते थे।
अनाकापुथुर में सैकड़ों परिवार पीढ़ियों से बुनाई के काम में लगे थे। यहां बने कपड़े 20वीं सदी के मध्य तक ब्रिटेन और अमेरिका तक निर्यात किए जाते थे। हालांकि, पावरलूम के आगमन और मशीनरी के बढ़ते उपयोग के कारण हाथकरघा उद्योग धीरे-धीरे कमजोर पड़ गया, जिससे कई बुनकरों को काम छोड़ना पड़ा।
हाल के वर्षों में सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इस क्षेत्र को फिर से विकसित करने के प्रयास शुरू किए हैं। नए बुनाई प्रशिक्षण केंद्र, आधुनिक उपकरण और कपड़ा डिजाइन में नवाचार की योजनाएं लागू की जा रही हैं। साथ ही, पुराने बुनकरों को आर्थिक सहायता और सब्सिडी भी प्रदान की जा रही है ताकि वे अपने कौशल को फिर से जीवित कर सकें।
और पढ़ें: उत्तर कोरिया ने अमेरिका की परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता फिर से शुरू करने की इच्छा को खारिज किया
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह पहल सफल होती है तो अनाकापुथुर एक बार फिर हाथकरघा उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन सकता है और यहां के पारंपरिक कपड़े अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान वापस पा सकते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि इस विकास प्रक्रिया से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और बुनकरों की पुरानी शान लौट आएगी।