विधानसभाओं की गरिमा में गिरावट चिंताजनक, दलों को करना होगा आत्ममंथन: लोकसभा अध्यक्ष
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सांसदों से दलगत राजनीति से ऊपर उठकर जनता की अपेक्षाओं पर ध्यान देने और विधानसभाओं की गिरती गरिमा पर आत्ममंथन करने की अपील की।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने विधानसभाओं और संसद की गिरती गरिमा पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए बेहद चिंताजनक संकेत है और राजनीतिक दलों को इस पर गंभीर आत्ममंथन करना चाहिए।
ओम बिड़ला ने संसद के सदस्यों से अपील की कि वे दलगत हितों से ऊपर उठकर जनता की अपेक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करें। उन्होंने कहा कि जनता अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों से उम्मीद करती है कि वे जनहित के मुद्दों पर बहस करें, ठोस समाधान प्रस्तुत करें और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत बनाएं।
लोकसभा अध्यक्ष का मानना है कि विधानसभाओं और संसद में होने वाले व्यवधानों और हंगामों से न केवल संसदीय कार्यक्षमता प्रभावित होती है, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता और गरिमा भी कम होती है।
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उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि सभी राजनीतिक दल यह विचार करें कि क्या उनका आचरण और कार्यप्रणाली वास्तव में जनता की उम्मीदों पर खरी उतर रही है। उन्होंने सांसदों को यह याद दिलाया कि संसद जनता के विश्वास से चलती है और इसी विश्वास को कायम रखना सभी दलों की सामूहिक जिम्मेदारी है।
ओम बिड़ला ने जोर देकर कहा कि संवाद, बहस और सहयोग ही लोकतंत्र की ताकत हैं। यदि संसद और विधानसभा केवल विरोध और आरोप-प्रत्यारोप का मंच बनकर रह जाए, तो इससे लोकतांत्रिक ढांचे को नुकसान होगा। उन्होंने सांसदों से अपेक्षा जताई कि वे लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने में अग्रणी भूमिका निभाएँ।
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