हैदराबाद में बिजली हादसे: झूलती तारें और ढीली जिम्मेदारी ने आठ जानें ली
हैदराबाद में दो दिनों में आठ मौतों ने शहर के झूलते विद्युत तार और जिम्मेदारी की कमी उजागर की; सुरक्षा ऑडिट और सुधार नजरअंदाज किए जा रहे हैं।
हैदराबाद में हाल ही में हुए बिजली हादसों ने शहर के खराब और असुरक्षित विद्युत नेटवर्क की पोल खोल दी है। मात्र दो दिनों में आठ लोगों की मौत ने यह उजागर किया कि शहर में न केवल झूलती तारें खतरा पैदा कर रही हैं, बल्कि जिम्मेदारी लेने की प्रणाली भी पूरी तरह से फेल है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, सुरक्षा ऑडिट अक्सर नजरअंदाज किए जाते हैं और कोर्ट के आदेश कागजों में ही सिमटकर रह जाते हैं। अस्थायी सुधारों को ही स्थायी सुधार मान लिया जाता है, जबकि वास्तविक सुधार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। विद्युत लाइनों का संचालन कई एजेंसियों के बीच बंटा हुआ है, लेकिन कोई भी पूरी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है।
विशेषज्ञों और स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि शहर का विद्युत नेटवर्क सिर्फ झूलती तारों का जाल नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक और नियामक विफलताओं का भी प्रतीक है। निरीक्षणों की कमी, असमान निगरानी और कोरोटीनिक नीतियों की कमी ने आम नागरिकों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।
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शहरवासियों ने भी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है और अधिकारियों से कार्रवाई की मांग की है। हालांकि, बिजली विभाग और संबंधित एजेंसियां अक्सर एक-दूसरे पर दोष डालते नजर आती हैं। इस स्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि केवल तकनीकी सुधार पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि जिम्मेदारी तय करने और निगरानी को मजबूत करने की भी तत्काल आवश्यकता है।
नागरिकों की सुरक्षा, स्थायी उपाय और जवाबदेही को सुनिश्चित करना अब सबसे बड़ी चुनौती बन गई है, ताकि भविष्य में और जानें न जाएं।
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