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समुद्री सुरक्षा को डायनैक्सिक चुनौती का सामना करना होगा: नौसेना प्रमुख

नौसेना प्रमुख ने कहा कि बदलते वैश्विक खतरों के बीच भारत को समुद्री सुरक्षा के लिए तकनीकी नवाचार और क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाकर ‘डायनैक्सिक चुनौती’ का सामना करना होगा।

भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल डी. के. त्रिपाठी ने कहा है कि आज की बदलती वैश्विक परिस्थितियों में समुद्री सुरक्षा को “डायनैक्सिक चुनौती (Dynaxic Challenge)” का सामना करना पड़ रहा है, जिसे ध्यान में रखते हुए सुरक्षा रणनीतियों को लगातार अद्यतन करना आवश्यक है।

नई दिल्ली में आयोजित एक सुरक्षा संगोष्ठी को संबोधित करते हुए एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि समुद्री सीमाओं की सुरक्षा अब केवल परंपरागत सैन्य दृष्टिकोण तक सीमित नहीं रह गई है। इसमें आर्थिक, पर्यावरणीय, साइबर और भू-राजनीतिक पहलुओं को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समुद्र अब केवल व्यापार और परिवहन का माध्यम नहीं, बल्कि रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का नया मंच बन चुका है।

नौसेना प्रमुख ने बताया कि “डायनैक्सिक चुनौती” का अर्थ है—एक ऐसी स्थिति जिसमें खतरे लगातार बदलते रहते हैं और उनके स्वरूप का पूर्वानुमान लगाना कठिन होता है। इसलिए, भारत को अपनी नौसैनिक क्षमताओं में तकनीकी नवाचार, सहयोगी तंत्र और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करना होगा।

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उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों, समुद्री डकैती, ड्रग्स तस्करी और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरों को भी गंभीर चिंता का विषय बताया। एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ सहयोगात्मक समुद्री ढांचा मजबूत करना चाहिए ताकि सामूहिक रूप से सुरक्षा चुनौतियों का सामना किया जा सके।

कार्यक्रम के अंत में उन्होंने कहा, “भारत की नौसेना पूरी तरह से तैयार है और देश के समुद्री हितों की रक्षा के लिए किसी भी स्थिति में तत्पर रहेगी।”

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