क्या उन्नत सभ्यताओं ने पृथ्वी पर जीवन बीज के रूप में भेजा? वैज्ञानिक ने दी चौंकाने वाली थ्योरी
हार्वर्ड वैज्ञानिक एवी लोएब का दावा है कि इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट 3I/ATLAS पृथ्वी पर जीवन पहुँचाने के लिए किसी उन्नत सभ्यता का कृत्रिम उपकरण हो सकता है, जिसमें कई असामान्य संकेत मिले हैं।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और खगोल भौतिकी विशेषज्ञ एवी लोएब ने एक बेहद साहसिक और विवादित सिद्धांत पेश किया है। उनका दावा है कि 3I/ATLAS जैसे इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट पृथ्वी पर जीवन के "बीज" पहुंचाने के लिए उन्नत सभ्यताओं द्वारा भेजे गए हो सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, लोएब ने इस वस्तु की कक्षा और भौतिक बनावट में कई असामान्यताएं नोट की हैं, जिससे वे इसे प्राकृतिक न मानकर एक तकनीकी अवशेष मानते हैं।
3I/ATLAS, जिसे जुलाई में खोजा गया था, 19 दिसंबर को पृथ्वी के सबसे निकट होगा और इस समय सभी प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियाँ अपनी तकनीकें इसकी ओर केंद्रित कर रही हैं। हालांकि NASA ने अपने नवीनतम डेटा में इसे एक धूमकेतु बताया है, लेकिन लोएब का कहना है कि इसका उल्टा घूमना (retrograde orbit), असामान्य धात्विक संरचना और रहस्यमयी गति इसे एक प्राकृतिक पिंड नहीं होने का संकेत देते हैं। हाल ही में उन्होंने दावा किया कि इस ऑब्जेक्ट से "हार्टबीट" जैसी धड़कननुमा संकेत मिल रहे हैं, जो इसकी कृत्रिम उत्पत्ति की संभावना को मजबूती देते हैं।
लोएब के अनुसार, यह पहला अवसर नहीं हो सकता जब किसी बाह्य सभ्यता ने पृथ्वी का दौरा किया हो। उन्होंने कहा कि सौर मंडल की उम्र को देखते हुए, "पूर्व सितारों के निवासी कई बार पृथ्वी तक आ सकते थे।" यदि कोई "इंटरस्टेलर माली" है, तो वह पृथ्वी पर जीवन को बीज रूप में फैलाने के उद्देश्य से ऐसी वस्तुएं भेज सकता है।
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उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा कि हर दशक में लगभग एक मीटर आकार की इंटरस्टेलर चट्टान पृथ्वी से टकराती है, और यदि इनमें जीवन का कोई कठोर रूप मौजूद होता, तो पृथ्वी को बाह्य जीव रूपों से अवगत कराया जा सकता था।
लोएब का सिद्धांत 'डायरेक्टेड पैनस्पर्मिया' पर आधारित है, जिसमें माना जाता है कि जीवन ब्रह्मांड में हर जगह मौजूद है और अंतरिक्ष धूल, धूमकेतुओं और क्षुद्रग्रहों के माध्यम से फैलता है। उनके अनुसार, पृथ्वी की इतिहास को उसके आकाशगंगा परिवेश से अलग मानना सही दृष्टिकोण नहीं हो सकता।
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