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कंबोडिया का ‘फ्रॉड सम्राट’ — जब दान और सत्ता की आड़ में पनपा अरबों डॉलर का अपराध साम्राज्य

कंबोडिया के कारोबारी चेन झी पर अमेरिका ने अरबों डॉलर के ऑनलाइन फ्रॉड नेटवर्क चलाने का आरोप लगाया है। दिखावे की परोपकारिता के पीछे छिपा था संगठित अपराध का साम्राज्य।

कंबोडिया का नाम अब सिर्फ पर्यटन या मंदिरों के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे बड़े साइबर फ्रॉड केंद्रों में से एक के रूप में गूंज रहा है। और इस अंधेरे साम्राज्य के केंद्र में है एक चेहरा — चेन झी, एक 37 वर्षीय कारोबारी जिसने अपने “परोपकार” और “विकास” के मुखौटे के पीछे कथित रूप से एक वैश्विक अपराध तंत्र खड़ा किया।

अमेरिकी जांच एजेंसियों के अनुसार, चेन झी और उसकी कंपनी प्रिंस ग्रुप ने जबरन श्रम, ऑनलाइन स्कैम और क्रिप्टो ठगी के जरिए हर दिन करीब 30 मिलियन डॉलर की कमाई की। इस रकम से लंदन में आलीशान संपत्तियां, पिकासो की पेंटिंग्स, निजी जेट और राजनेताओं को दी गई रिश्वतें खरीदी जाती रहीं। हाल ही में न्यूयॉर्क के अभियोजकों ने चेन की कथित गतिविधियों पर नकेल कसते हुए 15 अरब डॉलर मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी जब्त की है — जो किसी भी एकल साइबर फ्रॉड मामले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।

चेन झी, जो खुद को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश करने वाला “दानी” बताता था, ने कंबोडिया में सत्ता के शीर्ष हलकों तक पहुंच बनाई। उसे सरकारी सलाहकार का दर्जा मिला, पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन और उनके बेटे हुन मानेट दोनों से गहरी नजदीकियां रहीं, और उसे “नेअक ओकन्हा” जैसी प्रतिष्ठित उपाधि भी दी गई। लेकिन पर्दे के पीछे, उसकी कंपनी पर 12 देशों में 100 से अधिक शेल कंपनियों के जरिए धनशोधन और अपराधी नेटवर्क चलाने के आरोप हैं।

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कंबोडिया के सिहानोकविल शहर में जब चीन के निवेशकों ने 2010 के दशक में कैसिनो बनाना शुरू किया, तभी से अपराध, मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी की जड़ें गहरी होती चली गईं। इन्हीं हालातों में चेन झी ने कदम रखा और कथित रूप से इस अवैध इकोसिस्टम का “ब्रांडेड चेहरा” बन गया। अमेरिका के आरोप पत्र में कहा गया है कि उसके नियंत्रण वाले कैंपों में 10 जबरन श्रम शिविर चलाए जा रहे थे, जहां मजदूरों को हिंसा की धमकियों के बीच ऑनलाइन ठगी करने पर मजबूर किया जाता था।

प्रिंस ग्रुप के सार्वजनिक चेहरे पर नज़र डालें तो वह सामाजिक जिम्मेदारी, शिक्षा, और कोविड राहत में योगदान देने वाली कंपनी नजर आती है। लेकिन अमेरिकी जांच के मुताबिक, यही “परोपकार” अपराध से अर्जित धन को वैध ठहराने का जरिया था। समूह की सहायक कंपनियां — बैंकिंग, रियल एस्टेट और निर्माण क्षेत्रों में सक्रिय थीं — अब अमेरिकी प्रतिबंधों की सूची में शामिल हैं।

रिपोर्टों के अनुसार, चेन झी के पास कंबोडिया, साइप्रस और वनुआटु की नागरिकता है। उसकी संपत्तियां हांगकांग और ब्रिटिश वर्जिन द्वीप तक फैली हुई हैं। जांचकर्ताओं का दावा है कि उसने सरकारी अधिकारियों को घूस देने के लिए विस्तृत बहीखाते रखे, यहां तक कि 2019 में उसने एक अज्ञात अधिकारी के लिए 3 मिलियन डॉलर की यॉट खरीदी।

संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने बार-बार चेताया है कि कंबोडिया तेजी से एक “स्कैम स्टेट” में बदल रहा है, जहां अपराधी नेटवर्क सरकारी संरक्षण में फल-फूल रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश की अर्थव्यवस्था का 60 प्रतिशत हिस्सा साइबर अपराध से आता है, जो हर साल 12 से 19 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।

हालांकि कंबोडिया सरकार अब इन आरोपों से दूरी बना रही है। उसने कहा है कि ऑनलाइन अपराधों पर कार्रवाई के लिए एक विशेष आयोग बनाया गया है और हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया है। लेकिन सवाल यह है — क्या यह वास्तविक सुधार है या केवल दिखावा?

अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा चेन झी और उसकी कंपनियों के खिलाफ की गई कार्रवाई से अब यह संदेश गया है कि “राजनीतिक संरक्षण” की आड़ में पनपने वाले अपराध अब सुरक्षित नहीं हैं। पर असली चुनौती यह है कि क्या अंतरराष्ट्रीय दबाव कंबोडिया को उसकी अंधेरी डिजिटल अर्थव्यवस्था से बाहर निकाल पाएगा?

अगर नहीं, तो यह “फ्रॉड साम्राज्य” सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं रहेगा — यह पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया की विश्वसनीयता पर कलंक बन जाएगा।

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