लापता एयरवर्थिनेस प्रमाणपत्र के साथ उड़ान संचालित करने पर एयर इंडिया की जांच शुरू
DGCA एयर इंडिया की जांच कर रहा है क्योंकि उसने लापता एयरवर्थिनेस प्रमाणपत्र वाले A320neo विमान से आठ उड़ानें संचालित कीं। एयर इंडिया का दावा है कि यह प्रशासनिक चूक थी।
नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने एयर इंडिया के खिलाफ जांच शुरू कर दी है, क्योंकि एयरलाइन पर आरोप है कि उसने एक एयरबस A320neo विमान को उसकी एयरवर्थिनेस (उड़ान योग्यता) प्रमाणपत्र की अवधि समाप्त होने के बावजूद परिचालन में रखा। यह मामला उस समय सामने आया जब यह पाया गया कि 24 और 25 नवंबर को इस विशेष विमान का उपयोग करते हुए कुल आठ उड़ानें संचालित की गईं।
DGCA ने इस घटना को गंभीर उल्लंघन मानते हुए एयर इंडिया से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। एयरवर्थिनेस प्रमाणपत्र किसी भी विमानों के लिए अनिवार्य सुरक्षा दस्तावेज होता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि विमान नियमित निरीक्षण और तकनीकी जांच के बाद सुरक्षित उड़ान के लिए उपयुक्त है। प्रमाणपत्र की वैधता समाप्त होने के बाद किसी भी विमान का परिचालन नियमों के सख्त उल्लंघन की श्रेणी में आता है।
एयर इंडिया ने कहा कि जैसे ही यह गलती प्रकाश में आई, उसने तुरंत DGCA को इसकी जानकारी दी। एयरलाइन ने आश्वासन दिया कि विमान की उड़ान सुरक्षा कभी भी जोखिम में नहीं थी और यह एक प्रशासनिक चूक के कारण हुआ। एयरलाइन के अनुसार, विमान नियमित तकनीकी निरीक्षण से गुज़र चुका था, लेकिन दस्तावेज़ों के अद्यतन में देरी रह गई, जिसके चलते यह स्थिति बनी।
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DGCA अब यह जांच करेगा कि गलती किस स्तर पर हुई—तकनीकी विभाग, निरीक्षण टीम या दस्तावेज़ प्रबंधन प्रणाली में। यदि एयरलाइन की लापरवाही साबित होती है, तो DGCA एयर इंडिया पर दंडात्मक कार्रवाई कर सकता है, जिसमें भारी जुर्माना या संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही शामिल है।
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारतीय उड्डयन क्षेत्र सुरक्षा मानकों को लेकर पहले से कड़ी निगरानी में है। DGCA का कहना है कि इस तरह की घटनाओं को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जाएगा।
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