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डिजिटल अरेस्ट ठगी: महिला से ₹3.71 करोड़ की ठगी, गुजरात से एक आरोपी गिरफ्तार; जस्टिस चंद्रचूड़ बनकर दिया धोखा

डिजिटल अरेस्ट ठगी में मुंबई की बुजुर्ग महिला से ₹3.71 करोड़ की ठगी हुई। ‘जस्टिस चंद्रचूड़’ बनकर वीडियो कॉल के जरिए फंसाया गया, गुजरात से एक आरोपी गिरफ्तार।

मुंबई की 68 वर्षीय एक महिला से “डिजिटल अरेस्ट” के नाम पर ₹3.71 करोड़ की ठगी के मामले में पुलिस ने गुजरात से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। पुलिस अधिकारी ने सोमवार (29 दिसंबर, 2025) को बताया कि आरोपी महिला से ठगे गए पैसे का बड़ा हिस्सा अपने खाते में प्राप्त कर रहा था।

पुलिस के अनुसार, साइबर अपराधियों ने खुद को दक्षिण मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन और केंद्रीय एजेंसियों का अधिकारी बताकर महिला को फोन किया। इतना ही नहीं, उन्होंने एक फर्जी ऑनलाइन अदालत की सुनवाई भी रची, जिसमें एक व्यक्ति ने खुद को “जस्टिस चंद्रचूड़” बताकर महिला को भ्रमित किया।

अधिकारी ने बताया कि अंधेरी वेस्ट में रहने वाली पीड़िता को यह कहकर लगातार निगरानी में रखा गया कि वह मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में “डिजिटल अरेस्ट” के तहत है। यह अपराध 18 अगस्त से 13 अक्टूबर के बीच अंजाम दिया गया।

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18 अगस्त को महिला को एक फोन आया, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को कोलाबा पुलिस स्टेशन से बताते हुए कहा कि उसके बैंक खाते का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है। आरोपी ने किसी को भी इस बारे में बताने पर कार्रवाई की धमकी दी और बैंक विवरण मांगे, यह कहते हुए कि मामला अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपा जा रहा है।

खुद को अधिकारी एस.के. जयसवाल बताने वाले आरोपी ने महिला से उसके जीवन पर दो-तीन पन्नों का निबंध भी लिखवाया। इसके बाद उसने भरोसा दिलाया कि वह उसकी बेगुनाही से संतुष्ट है और जमानत दिलवा देगा।

इसके बाद साइबर अपराधियों ने महिला को वीडियो कॉल के जरिए एक ऐसे व्यक्ति के सामने पेश किया, जिसने खुद को जस्टिस चंद्रचूड़ बताया। सत्यापन के नाम पर महिला से निवेश संबंधी जानकारी मांगी गई, जिसके चलते उसने दो महीनों में अलग-अलग खातों में लगभग ₹3.75 करोड़ ट्रांसफर कर दिए।

जब कॉल आना बंद हो गया, तब महिला को ठगी का अहसास हुआ और उसने वेस्ट रीजन साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। जांच में पता चला कि पैसा कई “म्यूल अकाउंट्स” में भेजा गया था, जिनमें से एक सूरत (गुजरात) का था।

पुलिस ने सूरत से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जिसने कपड़ा व्यापार के नाम पर एक फर्जी कंपनी बनाकर करंट अकाउंट खोला था। इस खाते में रखे गए ₹1.71 करोड़ के बदले उसे ₹6.40 लाख कमीशन मिला। आरोपी ने गिरोह के दो मास्टरमाइंड के नाम भी बताए हैं, जो फिलहाल विदेश में हैं।

डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध का एक बढ़ता हुआ तरीका है, जिसमें ठग खुद को पुलिस, अदालत या सरकारी एजेंसियों का अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं और पैसे ऐंठते हैं। उल्लेखनीय है कि 1 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट मामलों की देशव्यापी जांच के लिए CBI को निर्देश दिए थे।

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