न्यायपालिका निष्पक्ष और निर्भीक, केवल संविधान का पालन करती है: पूर्व CJI गवई
पूर्व CJI गवई ने कहा कि न्यायपालिका स्वतंत्र है, लेकिन फैसलों को राजनीति से जोड़कर गलत नैरेटिव बनाए जाते हैं। उन्होंने एजेंसियों द्वारा राजनीतिक प्रताड़ना पर भी चिंता जताई।
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई ने एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि भारतीय न्यायपालिका पूरी तरह स्वतंत्र है, लेकिन कई बार उसकी कार्रवाइयों को राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है। उन्होंने कहा कि न्यायालय के फैसलों को गलत तरीके से समझा जाता है और उसके इर्द-गिर्द गलत नैरेटिव भी बनाए जाते हैं।
जस्टिस गवई ने कहा कि जज कभी यह नहीं देखते कि उनके सामने कौन-सा पक्ष खड़ा है, बल्कि वे केवल मामले के आधार पर निर्णय देते हैं। उन्होंने कहा, “कुछ मामलों में हम सरकार के पक्ष में निर्णय देते हैं, कुछ में सरकार के खिलाफ। इसका मतलब यह नहीं कि हर बार सरकार के खिलाफ फैसला देने से ही हम स्वतंत्र कहलाएं। ऐसा कहना जजों को पक्षपाती साबित करने जैसा है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि इसका अर्थ यह नहीं कि अदालतें दबाव में आती हैं या किसी पक्ष का साथ देती हैं। “न्यायाधीश अपनी शपथ के अनुसार काम करते हैं। हमारा कर्तव्य संविधान और हमारी प्रतिज्ञा का पालन करना है”।
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उन्होंने यह भी बताया कि राजनीतिक नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई भी इसी स्वतंत्रता की कसौटी पर परखी जाती है। “आपने सुना होगा कि मैंने कई बार ED की आलोचना की है”।
जस्टिस गवई ने बताया कि उनका मानना है कि राजनीतिक लड़ाइयाँ जनता के सामने लड़ी जानी चाहिए। “जहाँ भी मुझे लगा कि कोई एजेंसी—ED हो या राज्य पुलिस—किसी नेता को राजनीतिक कारणों से निशाना बना रही है, मैंने तुरंत राहत दी”।
जस्टिस गवई हाल ही में सेवा निवृत्त हुए हैं। उनके बाद जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली है।