तनावपूर्ण माहौल में गिनी-बिसाऊ में राष्ट्रपति चुनाव, राष्ट्रपति एम्बालो दूसरी बार जीत की तलाश में
गिनी-बिसाऊ में राजनीतिक तनाव के बीच राष्ट्रपति चुनाव, एम्बालो दूसरी बार जीत की कोशिश में। विपक्ष बाहर, मुकाबला कड़ा। देश गरीबी, अस्थिरता और तख्तापलट के इतिहास से जूझ रहा है।
गिनी-बिसाऊ में रविवार (23 नवंबर 2025) को होने वाला राष्ट्रपति चुनाव राजनीतिक और जातीय तनावों के बीच बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मौजूदा राष्ट्रपति उमरो सिसोको एम्बालो दूसरी बार चुनाव जीतकर देश के पहले ऐसे नेता बनना चाहते हैं, जिन्हें लगातार दो बार जनादेश मिले।
देश में राष्ट्रपति और संसदीय दोनों चुनाव ऐसे समय हो रहे हैं जब पश्चिम अफ्रीका में हाल के वर्षों में कई विवादित चुनावों और सैन्य हस्तक्षेपों ने लोकतंत्र पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
गिनी-बिसाऊ दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है, जहाँ लगभग 2.2 मिलियन की आबादी का आधा हिस्सा गरीबी में जीवन गुज़ारता है। यह देश लैटिन अमेरिका और यूरोप के बीच ड्रग तस्करी का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है और 50 वर्षों में कई सैन्य तख्तापलट और प्रयासों का सामना कर चुका है।
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53 वर्षीय पूर्व सेना जनरल एम्बालो, जिन्हें 20 से अधिक दलों के राजनीतिक गठबंधन का समर्थन प्राप्त है, का मुकाबला 11 अन्य उम्मीदवारों से है। विशेषज्ञों के अनुसार इस चुनाव में एम्बालो का मुख्य मुकाबला 47 वर्षीय फर्नांडो डियास दा कोस्टा से है, जिन्हें पूर्व प्रधानमंत्री डोमिंगोस सिमोएस पेरेइरा का समर्थन प्राप्त है।
मुख्य विपक्षी दल को आवेदन समय पर जमा न करने के आधार पर चुनाव से बाहर कर दिया गया, जिसके कारण चुनाव को हालिया इतिहास के सबसे विवादास्पद चुनावों में गिना जा रहा है। यदि कोई उम्मीदवार 50% से अधिक वोट नहीं पाता तो रन-ऑफ होगा।
देश में हाल के महीनों में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी है। अक्टूबर में तख्तापलट की कोशिश की खबरों ने तनाव और बढ़ा दिया। विपक्ष का आरोप है कि एम्बालो का कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे 4 सितंबर तक वैध माना।
चुनावी अभियान पर घृणा भाषण, हत्या और भ्रष्टाचार जैसे आरोप छाए रहे। एम्बालो ने विकास कार्यों को अपनी प्राथमिकता बताया, जबकि डियास ने सुरक्षा, स्वतंत्रता और परिवर्तन का वादा किया।
राजधानी बिसाऊ के नागरिक मारीन्हो इंसोल्डे ने आशा जताई कि चुनाव देश में शांति और स्थिरता लाएंगे।
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