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हांगकांग में स्टेबलकॉइन पर नियम और लाइसेंसिंग क्यों लागू हो रही है? विस्तृत विवरण

हांगकांग स्टेबलकॉइन जारी करने वालों के लिए नया नियामक ढांचा और लाइसेंसिंग लागू करने जा रहा है। इसका उद्देश्य डिजिटल वित्तीय बाजार में पारदर्शिता, सुरक्षा बढ़ाना और फिनटेक सेक्टर को प्रोत्साहित करना है।

हांगकांग जल्द ही स्टेबलकॉइन जारी करने वालों के लिए एक नया नियामक ढांचा (Regulatory Regime) लागू करने जा रहा है। इस कदम का उद्देश्य डिजिटल वित्तीय बाजार में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ाना है। स्टेबलकॉइन ऐसी क्रिप्टोकरेंसी होती है जिसकी वैल्यू अमेरिकी डॉलर या अन्य फिएट मुद्राओं से जुड़ी होती है, ताकि कीमत में उतार-चढ़ाव कम हो।

फिनटेक सेक्टर इस कदम का स्वागत कर रहा है क्योंकि इससे क्रिप्टोकरेंसी आधारित भुगतान प्रणालियों और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा मिलेगा। कई स्टार्टअप्स और निवेशक इसे वित्तीय नवाचार के लिए सकारात्मक मानते हैं। हांगकांग सरकार का मानना है कि सही नियम और निगरानी के साथ स्टेबलकॉइन को सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है और यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सहूलियत प्रदान करेगा।

हालांकि, नियामक प्राधिकरण सतर्क दृष्टिकोण अपना रहे हैं। उनका कहना है कि स्टेबलकॉइन का दुरुपयोग मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद वित्तपोषण और वित्तीय धोखाधड़ी जैसे मामलों में हो सकता है। इसलिए किसी भी कंपनी को स्टेबलकॉइन जारी करने के लिए सख्त लाइसेंसिंग प्रक्रिया से गुजरना होगा, जिसमें वित्तीय पारदर्शिता, पूंजी पर्याप्तता और उपभोक्ता सुरक्षा मानकों का पालन करना जरूरी होगा।

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विश्लेषकों का कहना है कि हांगकांग का यह कदम एशिया में डिजिटल एसेट हब बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह सिंगापुर और जापान जैसे देशों की तरह क्रिप्टोकरेंसी के लिए नियामक ढांचा तैयार करने का प्रयास है, जिससे वैश्विक निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।

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