आईजीएमसी शिमला में झड़प के बाद डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल, हिमाचल में चिकित्सा सेवाएं प्रभावित
आईजीएमसी शिमला में डॉक्टर-मरीज झड़प के बाद डॉक्टर की बर्खास्तगी से नाराज रेजिडेंट डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की, जिससे हिमाचल में चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हुईं।
हिमाचल प्रदेश के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी), शिमला में डॉक्टर और मरीज के बीच हुई झड़प के बाद प्रदेशभर में चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों ने एक डॉक्टर की सेवाएं समाप्त किए जाने के विरोध में शनिवार (27 दिसंबर 2025) से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। हड़ताल के चलते आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर अधिकांश अस्पतालों में नियमित इलाज, ओपीडी और वैकल्पिक ऑपरेशन ठप हो गए हैं।
हड़ताल का सबसे ज्यादा असर दूर-दराज से आए मरीजों और उनके परिजनों पर पड़ रहा है। अनी क्षेत्र से करीब 125 किलोमीटर दूर से अपने पिता का इलाज कराने आए कृष्ण सिंह ठाकुर ने बताया कि डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण उन्हें भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि कड़ाके की ठंड और नए साल के चलते होटलों में जगह न मिलना उनकी मुश्किलें और बढ़ा रहा है। उन्होंने सरकार और डॉक्टरों से मरीजों के हित में जल्द समाधान निकालने की अपील की।
एक अन्य मरीज के परिजन दासवी राम ने बताया कि उनकी पत्नी अस्पताल में भर्ती है और शनिवार को एमआरआई होनी थी, लेकिन हड़ताल के कारण जांच नहीं हो सकी। वे डॉक्टरों के काम पर लौटने का इंतजार कर रहे हैं।
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रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि हड़ताल के दौरान केवल आपातकालीन सेवाएं ही चालू रहेंगी, जबकि ओपीडी, नियमित सेवाएं और वैकल्पिक सर्जरी बंद रहेंगी। शुक्रवार को आईजीएमसी सहित राज्य के कई सरकारी अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर चले गए थे।
यह विवाद उस घटना के बाद शुरू हुआ, जब हिमाचल प्रदेश सरकार ने डॉक्टर राघव नरूला की सेवाएं समाप्त कर दीं। उन पर आईजीएमसी के पल्मोनरी वार्ड में मरीज अर्जुन सिंह के साथ कथित मारपीट का आरोप है। घटना का वीडियो सामने आने के बाद जांच कराई गई, जिसमें दोनों पक्षों को दोषी पाया गया। रिपोर्ट में डॉक्टर के आचरण को एक लोक सेवक के अनुरूप नहीं बताया गया।
डॉक्टर संगठनों ने नरूला के समर्थन में उतरते हुए उनकी बहाली, निष्पक्ष और समयबद्ध जांच तथा अस्पताल परिसर में अराजकता फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने डॉक्टरों से मुलाकात कर सुरक्षा के नए दिशा-निर्देश लाने और भीड़ के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन इसके बावजूद डॉक्टरों ने हड़ताल जारी रखने का फैसला किया।