2008 मालेगांव ब्लास्ट केस: प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित सहित सभी 7 आरोपी बरी
विशेष एनआईए अदालत ने 2008 मालेगांव ब्लास्ट केस में प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने सबूतों की कमी का हवाला दिया।
विशेष एनआईए अदालत ने 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। इनमें भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित भी शामिल हैं।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को सबूतों के साथ साबित करने में विफल रहा। फैसले में यह भी उल्लेख किया गया कि प्रज्ञा ठाकुर घटना से पहले ही संन्यासी बन चुकी थीं और सांसारिक जीवन का त्याग कर चुकी थीं।
2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थे। इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार कर एनआईए ने आतंकवाद और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप लगाए थे।
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लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित और प्रज्ञा ठाकुर ने शुरुआत से ही खुद को निर्दोष बताया था। वर्षों तक चले इस मामले में कई गवाह पेश किए गए, लेकिन अदालत ने पाया कि विस्फोट में आरोपियों की संलिप्तता साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य मौजूद नहीं हैं।
अदालत के फैसले के बाद प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि यह न्याय की जीत है और उन्हें फंसाने की साजिश अब बेनकाब हो गई है। वहीं, पुरोहित के वकीलों ने कहा कि उनके मुवक्किल ने 16 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आज राहत की सांस ली है।
इस फैसले से मालेगांव ब्लास्ट केस का 16 साल पुराना अध्याय समाप्त हो गया, हालांकि पीड़ित परिवारों ने फैसले पर निराशा जताई और उच्च न्यायालय में चुनौती देने का संकेत दिया।
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