आर.जी. कर आंदोलन का एक वर्ष: सरकार के वादों की खोखलाहट और महिलाओं का सशक्तिकरण
आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की पीजी डॉक्टर की हत्या के बाद शुरू आंदोलन के एक वर्ष में कार्यकर्ताओं ने सरकार के वादों को खोखला बताया और महिलाओं को सशक्त बनाने में आंदोलन की भूमिका रेखांकित की।
कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 वर्षीय पीजी प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुई क्रूर बलात्कार और हत्या ने पिछले वर्ष शहरी बंगाल की अंतरात्मा को झकझोर दिया था। इस घटना के बाद जो आंदोलन शुरू हुआ, उसने एक वर्ष पूरा कर लिया है। आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं और नेताओं का मानना है कि इस संघर्ष ने न केवल न्याय की मांग को मजबूत किया बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण में भी अहम भूमिका निभाई।
जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट के नेता अनीकेत महता ने कहा, “इस प्रतिरोध ने सुनिश्चित किया कि कई बड़े पदों पर बैठे लोगों को हटाया गया।” हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकार ने जो वादे आंदोलन के दौरान किए थे, उनमें से अधिकतर आज भी अधूरे हैं और खोखले साबित हो रहे हैं।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह आंदोलन केवल एक जघन्य अपराध का विरोध नहीं था, बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही, भ्रष्टाचार और न्याय में देरी के खिलाफ व्यापक संघर्ष का प्रतीक बन गया। महिला प्रतिभागियों ने बताया कि आंदोलन ने उन्हें आवाज उठाने का आत्मविश्वास दिया और सार्वजनिक स्थानों पर उनके अधिकारों की मजबूती सुनिश्चित की।
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इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में आंदोलन की उपलब्धियों और चुनौतियों पर चर्चा हुई। वक्ताओं ने कहा कि यह संघर्ष समाज में बदलाव की दिशा में एक प्रेरक शक्ति साबित हुआ है, लेकिन जब तक सभी वादे पूरे नहीं होते और दोषियों को सजा नहीं मिलती, यह आंदोलन जारी रहेगा।
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