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सुप्रीम कोर्ट में SIR पर सुनवाई: सामाजिक ऑडिट मतदाता सूची संशोधन का अधिक विश्वसनीय तरीका — प्रशांत भूषण

SC में SIR की वैधता पर सुनवाई जारी; प्रशांत भूषण ने कहा सामाजिक ऑडिट मतदाता सूची संशोधन का बेहतर तरीका। BLOs का कार्यभार कम करने को कोर्ट ने अतिरिक्त कर्मियों की नियुक्ति का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (4 दिसंबर 2025) को विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखी। यह पुनरीक्षण प्रक्रिया पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु सहित कई राज्यों में मतदाता सूची के बड़े पैमाने पर सत्यापन के लिए अपनाई गई है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि SIR महज़ संदेह के आधार पर नागरिकता की सामूहिक जांच की अनुमति देता है, जिससे बड़े पैमाने पर मताधिकार छिनने और नागरिकता संकट जैसी गंभीर स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया गया कि वे बूथ-स्तरीय अधिकारियों (BLOs) के अत्यधिक कार्यभार को कम करने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की नियुक्ति करें। रिपोर्ट्स के अनुसार BLOs को लंबे समय तक काम करना पड़ रहा है, जिसके चलते उन पर अत्यधिक दबाव बना हुआ है।

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अदालत के समक्ष सुझाव दिया कि मतदाता सूची के संशोधन के लिए सामाजिक ऑडिट सबसे विश्वसनीय और पारदर्शी तरीका है। उन्होंने कहा कि यह तरीका चुनाव आयोग के अपने नियम पुस्तिका का हिस्सा है। भूषण ने यह भी दावा किया कि बिहार में SIR के बावजूद अंतिम मतदाता सूची में अब भी डुप्लीकेट वोटर मौजूद हैं, जिससे यह प्रक्रिया त्रुटिहीन साबित नहीं होती।

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उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग आधुनिक de-duplication software का इस्तेमाल करके मतदाता सूची को और अधिक सटीक तथा साफ कर सकता है। उन्होंने दलील दी कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी साधनों और सामाजिक निगरानी का संयुक्त उपयोग आवश्यक है।

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