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प्रसिद्ध वास्तुकार तारा मुरली का 75 वर्ष की उम्र में निधन

विख्यात वास्तुकार तारा मुरली का 75 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे नागरिक अधिकार, विरासत संरक्षण और पर्यावरण के मुद्दों के लिए हमेशा सक्रिय रहीं और समाज को प्रेरित किया।

प्रसिद्ध वास्तुकार और सामाजिक कार्यकर्ता तारा मुरली का 75 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे न केवल एक प्रतिभाशाली वास्तुकार थीं, बल्कि उन्होंने सार्वजनिक हितों, नागरिक अधिकारों, उपभोक्ता संरक्षण, विरासत संरक्षण और पर्यावरणीय मुद्दों के लिए जीवनभर संघर्ष किया।

तारा मुरली का वास्तुकला में योगदान बहुआयामी रहा। वे आधुनिकता और परंपरा के बीच संतुलन बनाकर चलने में विश्वास रखती थीं। उन्होंने ऐसे कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया जो न सिर्फ सुंदर और उपयोगी थे, बल्कि सामाजिक न्याय और पर्यावरणीय संतुलन के विचारों से भी प्रेरित थे।

उनका कार्य केवल इमारतों तक सीमित नहीं था। उन्होंने सामाजिक मंचों, नागरिक समूहों और न्यायिक संस्थानों के साथ मिलकर कई मुद्दों पर आवाज़ उठाई। उपभोक्ता अधिकारों के लिए जागरूकता फैलाने से लेकर शहरों की विरासत को बचाने तक, उनका दृष्टिकोण हमेशा लोकहित पर केंद्रित रहा।

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विरासत संरक्षण के क्षेत्र में तारा मुरली की भूमिका बेहद उल्लेखनीय रही। उन्होंने कई ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित करने के लिए जनभागीदारी को बढ़ावा दिया और शहरी योजनाओं में पारंपरिक स्थापत्य शैली को बनाए रखने की मांग की।

उनके निधन से वास्तुकला और सामाजिक कार्यों के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति हुई है। कई प्रसिद्ध नागरिकों, शहरी योजनाकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और उनकी प्रेरणादायक जीवन यात्रा को याद किया।

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