×
 

विपक्ष के विरोध के बीच केंद्र का बयान: महिला पत्रकारों को प्रेस वार्ता से बाहर रखने का निर्णय अफगान सरकार का था

महिला पत्रकारों को अफगान प्रेस वार्ता से बाहर रखने पर विवाद बढ़ा। केंद्र ने कहा—निर्णय अफगान सरकार का था, भारत केवल मेजबान था और समानता के प्रति प्रतिबद्ध है।

अफगान विदेश मंत्री की प्रेस वार्ता से महिला पत्रकारों को बाहर रखने के फैसले पर देश में तीखी राजनीतिक बहस छिड़ गई है। विपक्षी दलों ने इस निर्णय को “चौंकाने वाला और अस्वीकार्य” बताते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। विपक्ष का कहना है कि भारत में लोकतंत्र और लैंगिक समानता के मूल्यों के खिलाफ इस तरह का कदम बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

इस विवाद के बीच केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि महिला पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल न करने का निर्णय अफगानिस्तान सरकार का था, भारत का नहीं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत केवल प्रेस वार्ता की मेजबानी कर रहा था और सभी व्यवस्थाएं अफगान पक्ष द्वारा तय की गई थीं। प्रवक्ता ने जोड़ा कि “भारत लैंगिक समानता और प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”

विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस और टीएमसी ने इस घटना को “भारत की छवि पर धब्बा” बताया। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि “अगर भारत किसी कार्यक्रम की मेजबानी करता है, तो उसे सुनिश्चित करना चाहिए कि उसमें महिलाओं को समान अवसर मिले।” वहीं, कुछ महिला पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह निर्णय “पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार” है।

और पढ़ें: तालिबान ने कहा — अफगान भूमि से आतंकवाद की इजाजत नहीं देंगे; भारत के साथ संयुक्त कार्रवाई से किया इंकार, व्यापारिक सहयोग की वकालत

राजनयिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह विवाद भारत की विदेश नीति की जटिलता को उजागर करता है, जहां वह अफगानिस्तान के साथ संबंध बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वैश्विक मानवाधिकार मानकों से भी समझौता नहीं करना चाहता।

और पढ़ें: अफगान विदेश मंत्री मुत्तकी का दिल्ली आगमन, भारत-अफगानिस्तान संबंधों पर चर्चा

 
 
 
Gallery Gallery Videos Videos Share on WhatsApp Share