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क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बढ़ेगी IVF की सफलता दर? विशेषज्ञ ने बताया कैसे बदल रहा है उपचार का तरीका

AI तकनीक IVF उपचार को अधिक सटीक, सुरक्षित और व्यक्तिगत बना रही है। यह भ्रूण चयन और हार्मोन विश्लेषण में मदद कर सफलता दर बढ़ा रही है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। IVF तकनीक ने दुनियाभर में लाखों दंपतियों को संतान सुख का सपना पूरा करने में मदद की है, लेकिन सफलता दर अब भी उम्र, अंडाणु व शुक्राणु की गुणवत्ता और भ्रूण की स्थिति पर निर्भर करती है। यही वह क्षेत्र है जहां AI नई उम्मीदें जगा रही है।

AI डेटा, इमेजिंग और एल्गोरिदम के जरिए उन पैटर्न्स को पहचान सकती है जिन्हें मानव आंखें नहीं देख पातीं। इससे विशेषज्ञ अधिक सटीक और व्यक्तिगत निर्णय ले सकते हैं। यह तकनीक भ्रूण के विकास का विश्लेषण कर यह तय करने में मदद करती है कि कौन-सा भ्रूण स्थानांतरण के लिए सबसे उपयुक्त है। ICSI जैसी तकनीकों में AI स्वस्थ शुक्राणु चुनने में भी सहायक है।

AI-आधारित इमेजिंग से भ्रूण के विकास की वास्तविक समय में निगरानी की जा सकती है, जिससे किसी भी असामान्यता को तुरंत पहचाना जा सके। इससे चिकित्सक समय रहते सुधारात्मक कदम उठा सकते हैं। साथ ही, AI हार्मोन स्तर और दवा की प्रतिक्रिया का विश्लेषण कर उपचार का सही डोज और समय निर्धारित करती है, जिससे अंडाणु की गुणवत्ता और गर्भधारण की संभावना बढ़ती है।

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AI की मदद से अब चिकित्सकों को कई भ्रूण स्थानांतरित करने की आवश्यकता नहीं रहती; एक ही उपयुक्त भ्रूण का चयन किया जा सकता है, जिससे जटिलताओं की संभावना घटती है।

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि AI सिर्फ एक “डबल चेक” की भूमिका निभाता है, यह चिकित्सकों का स्थान नहीं ले सकता। परंतु इससे IVF उपचार में पारदर्शिता, सटीकता और समान गुणवत्ता की सुविधा सभी तक पहुंच सकेगी।

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