बंकिम दा या बंकिम बाबू? लोकसभा में पीएम मोदी और टीएमसी सांसद के बीच नाम को लेकर बहस
लोकसभा में पीएम मोदी द्वारा “बंकिम दा” कहने पर टीएमसी सांसद ने आपत्ति जताई। प्रधानमंत्री ने भावना का सम्मान करते हुए “बंकिम बाबू” कहा और वंदे मातरम् की ऐतिहासिक भूमिका पर जोर दिया।
लोकसभा में सोमवार को वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर आयोजित विशेष चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में एक दिलचस्प बहस सामने आई। प्रधानमंत्री ने वंदे मातरम् के रचयिता और बंगाल के महान साहित्यकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को संबोधित करते हुए उन्हें “बंकिम दा” कहा। इसी पर तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने आपत्ति जताई।
सौगत रॉय ने कहा कि “दा” शब्द, जो बंगाल में "दादा" के संक्षिप्त रूप में भाई, मित्र या परिचितों के लिए प्रयोग होता है, किसी सांस्कृतिक प्रतिमान के लिए उपयुक्त नहीं है। उन्होंने कहा, “आप बंकिम दा कह रहे हैं? आपको बंकिम बाबू कहना चाहिए।”
प्रधानमंत्री मोदी ने तुरंत उनकी भावना का सम्मान करते हुए कहा, “मैं बंकिम बाबू कहूंगा। धन्यवाद, आपकी भावना का सम्मान करता हूं।” इसके बाद उन्होंने हल्के अंदाज़ में जोड़ा, “मैं आपको दादा कह सकता हूं न? या उस पर भी आपत्ति है?”
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इसके बाद प्रधानमंत्री ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में वंदे मातरम् की भूमिका पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि यह केवल राजनीतिक स्वतंत्रता का नारा नहीं था, बल्कि भारत माता को औपनिवेशिक अवशेषों से मुक्त कराने का “पवित्र रणघोष” था।
उन्होंने बताया कि वंदे मातरम् की शक्ति इतनी बड़ी थी कि ब्रिटिश शासन को इसे प्रतिबंधित करने तक की नौबत आ गई। “इसे गाने और छापने पर सजा दी जाती थी। इसे दबाने के लिए कठोर कानून लागू किए गए”।
वंदे मातरम् पर चर्चा उसकी ऐतिहासिक विरासत और स्वतंत्रता संग्राम में उसके महत्व को रेखांकित करने के लिए आयोजित की जा रही है। कुल 10 घंटे की चर्चा निर्धारित की गई है, जो राज्यसभा में भी होगी। प्रधानमंत्री द्वारा बहस शुरू करने के बाद कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा भी इसमें हिस्सा लेंगी।
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