बेनिन में सैन्य विद्रोह की घोषणा, राष्ट्रपति और सरकारी संस्थाएं भंग
बेनिन में सैनिकों ने तख्तापलट कर सरकार भंग कर दी और लेफ्टिनेंट कर्नल पास्कल टिग्री को सत्ता में बैठाया। यह पश्चिम अफ्रीका में बढ़ती सैन्य हस्तक्षेपों की नई कड़ी है।
पश्चिम अफ्रीकी देश बेनिन में एक बार फिर सैन्य हस्तक्षेप देखने को मिला है। रविवार (7 दिसंबर 2025) को सैनिकों के एक समूह ने देश के सरकारी टेलीविज़न पर आकर सरकार को भंग करने की घोषणा कर दी। यह समूह स्वयं को "मिलिट्री कमेटी फॉर रीफाउंडेशन" कह रहा है। सैनिकों ने घोषणा की कि राष्ट्रपति और सभी राज्य संस्थानों को हटा दिया गया है। साथ ही, लेफ्टिनेंट कर्नल पास्कल टिग्री को नई सैन्य समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
बेनिन ने 1960 में फ्रांस से स्वतंत्रता प्राप्त की थी और उसके बाद कई दशकों तक देश में तख्तापलट की घटनाएं होती रहीं। हालांकि, 1991 के बाद से राजनीतिक स्थिरता बनी रही, जिसका श्रेय मथ्यू केरेको के दो दशक लंबे शासन को दिया जाता है। केरेको एक मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट नेता थे, जिन्होंने देश का नाम बदलकर पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ बेनिन रखा था।
वर्तमान राष्ट्रपति पैट्रिस तलोन, जो 2016 से सत्ता में थे, अगले वर्ष अप्रैल में पद छोड़ने वाले थे। चुनावों में राष्ट्रपति के पसंदीदा उम्मीदवार और पूर्व वित्त मंत्री रोमुअल्ड वाडागनी के जीतने की संभावना सबसे अधिक बताई जा रही थी। दूसरी ओर विपक्षी उम्मीदवार रेनॉड अगबोड्जो को चुनाव आयोग ने यह कहकर अयोग्य कर दिया कि उनके पास पर्याप्त प्रायोजक (स्पॉन्सर) नहीं हैं।
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पिछले महीने संसद ने राष्ट्रपति के कार्यकाल को 5 से बढ़ाकर 7 वर्ष कर दिया था, हालांकि कार्यकाल की सीमा (टर्म लिमिट) दो ही रखी गई। तख्तापलट की यह घटना पश्चिम अफ्रीका में लगातार हो रहे सैन्य बदलावों की श्रृंखला का हिस्सा है। पिछले सप्ताह गिनी-बिसाऊ में भी सैन्य तख्तापलट के बाद पूर्व राष्ट्रपति उमरू एम्बालो को सत्ता से हटा दिया गया था। उस चुनाव में राष्ट्रपति और विपक्षी दोनों ने स्वयं को विजेता घोषित कर दिया था, जिससे हालात बिगड़ गए।
बेनिन में हुई यह ताजा घटना क्षेत्र में लोकतांत्रिक स्थिरता को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
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