भारत-पाक तनाव सुलझाने के दावे पर चीन की एंट्री, ट्रंप के बयान की गूंज
चीन ने भारत-पाक सैन्य तनाव सुलझाने में मध्यस्थता का दावा किया है, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि मई 2025 का संघर्ष दोनों देशों के डीजीएमओ स्तर की सीधी बातचीत से सुलझा था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बाद अब चीन ने भी भारत और पाकिस्तान के बीच इस वर्ष हुए सैन्य टकराव को शांत कराने का श्रेय लेने का दावा किया है। हालांकि, नई दिल्ली पहले ही किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के दावों को सख्ती से खारिज कर चुकी है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बीजिंग में आयोजित “अंतरराष्ट्रीय स्थिति और चीन की विदेश नीति” पर संगोष्ठी के दौरान कहा कि चीन ने इस वर्ष कई वैश्विक संघर्षों में मध्यस्थता की भूमिका निभाई, जिनमें भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव भी शामिल है।
वांग यी ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इस वर्ष स्थानीय युद्धों और सीमा-पार संघर्षों में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई। उन्होंने दावा किया कि स्थायी शांति के लिए चीन ने निष्पक्ष और न्यायसंगत रुख अपनाया तथा समस्याओं के मूल कारणों पर ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि चीन ने उत्तरी म्यांमार, ईरानी परमाणु मुद्दे, भारत-पाक तनाव, फिलिस्तीन-इज़रायल संघर्ष और कंबोडिया-थाईलैंड विवाद में मध्यस्थता की।
भारत ने दोहराया है कि 7 से 10 मई के बीच हुए सैन्य टकराव का समाधान दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच सीधे संवाद से हुआ। 13 मई को विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि संघर्ष विराम की तारीख, समय और शर्तें 10 मई 2025 को डीजीएमओ स्तर की बातचीत में तय हुई थीं। भारत का रुख रहा है कि भारत-पाक मामलों में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है।
और पढ़ें: भारत ने चीन से मांगी सुरक्षा की गारंटी: भारतीय नागरिकों को चुनिंदा निशाना न बनाया जाए
इस बीच, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को चीन द्वारा दिए गए सैन्य समर्थन को लेकर बीजिंग की कड़ी आलोचना हुई। चीन ने जहां एक ओर भारत-पाक से संयम बरतने की अपील की, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान को हथियार और तकनीकी सहायता देने के आरोप भी लगे। भारत के सैन्य अधिकारियों ने आरोप लगाया कि चीन ने इस संघर्ष को “लाइव लैब” की तरह इस्तेमाल किया।
वांग यी ने भारत-चीन संबंधों पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की सकारात्मक गति देखी जा रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया था। उन्होंने अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्कों पर भी टिप्पणी करते हुए वैश्विक व्यापार व्यवस्था पर उसके नकारात्मक प्रभाव की बात कही।
और पढ़ें: चीन यात्रा पर भारत की चेतावनी: नागरिकों से सावधानी बरतने की अपील