चीन के युवा बेरोजगारों का गुस्सा, विदेशी प्रोफेशनल्स के लिए नए ‘K वीज़ा’ पर विवाद
चीन का नया ‘K-वीज़ा’ युवाओं में गुस्सा भड़का रहा है। बेरोजगारी बढ़ने के बीच विदेशी प्रोफेशनल्स लाने की योजना पर सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना और राष्ट्रवादी टिप्पणियां हो रही हैं।
चीन की सरकार ने हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के युवा विदेशी प्रोफेशनल्स को आकर्षित करने के लिए एक नया वीज़ा श्रेणी शुरू की है, जिसे ‘K-वीज़ा’ कहा जा रहा है। इसे देश के तकनीकी विकास के लिए बड़ा कदम बताया जा रहा है और माना जा रहा है कि यह अमेरिका के साथ तकनीकी प्रतिद्वंद्विता में बढ़त हासिल करने की रणनीति का हिस्सा है। लेकिन यह योजना चीन के भीतर खासा विरोध झेल रही है, जहां पहले से ही उच्च शिक्षित युवा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं।
सोशल मीडिया पर ‘K-वीज़ा’ की चर्चा पिछले कुछ दिनों में सबसे बड़ा विषय बन गई। इससे जुड़े हैशटैग दो दिनों में लगभग 50 करोड़ बार देखे गए। चीन में युवाओं की बेरोजगारी दर लगभग 19% के आसपास है और इस साल रिकॉर्ड 1.22 करोड़ नए कॉलेज ग्रेजुएट्स नौकरी की तलाश में हैं। ऐसे में लोगों ने सवाल उठाया है कि जब देश के भीतर मास्टर डिग्री वाले युवा बेरोजगार हैं, तो सरकार क्यों विदेश से प्रतिभा ला रही है। एक सोशल मीडिया यूज़र ने लिखा—“यहां इतने मास्टर्स डिग्री वाले लोग संघर्ष कर रहे हैं और आप बाहर से और टैलेंट ला रहे हैं?” यह टिप्पणी हज़ारों लोगों ने पसंद की।
आगे क्या होगा, इस पर चर्चाएं बंटी हुई हैं। कुछ लोगों का मानना है कि विदेशी प्रतिभा लाने का इरादा अच्छा है लेकिन इसके लिए मानक कठोर होने चाहिए। वहीं, कई आवाज़ें यह भी कह रही हैं कि चीन के पास पहले से ही पर्याप्त प्रतिभा है। राष्ट्रवाद से प्रेरित टिप्पणियाँ यह सवाल उठा रही हैं कि विदेशी प्रोफेशनल्स को बुलाने से समाज पर “असीमित परिणाम” हो सकते हैं। सरकार को अब इस विवादास्पद कदम पर युवाओं की चिंताओं का जवाब देना होगा।
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