चीन ने दुर्लभ खनिजों और प्रौद्योगिकी के निर्यात पर सख्त नियंत्रणों की घोषणा की
चीन ने दुर्लभ खनिजों और प्रौद्योगिकी के निर्यात पर नए नियंत्रण लगाए। यह कदम ट्रंप-शी बैठक से पहले उठाया गया, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर असर पड़ सकता है।
चीन ने दुर्लभ खनिजों (Rare Earths) और प्रौद्योगिकी के निर्यात पर अधिक सख्त नियंत्रण लागू करने की घोषणा की है। ये कदम ऐसे समय पर उठाए गए हैं जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है।
नई नीति के तहत, चीन ने यह स्पष्ट किया है कि कुछ विशेष खनिज, तकनीकी उपकरण और संवेदनशील प्रौद्योगिकियों के निर्यात के लिए अब सरकार की पूर्व स्वीकृति आवश्यक होगी। अधिकारियों का कहना है कि इन नियंत्रणों का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और संसाधनों की रणनीतिक सुरक्षा को मजबूत करना है।
दुर्लभ खनिज, जैसे नियोडिमियम, डिस्प्रोसियम, और टर्बियम, इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा और हरित ऊर्जा उद्योगों में अत्यंत आवश्यक हैं। चीन इन खनिजों का वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। इस निर्णय के बाद वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं (supply chains) पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, खासकर अमेरिका, जापान और यूरोप जैसे देशों पर जो इन संसाधनों पर निर्भर हैं।
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विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों में तनाव को और बढ़ा सकता है। हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच सेमीकंडक्टर, प्रौद्योगिकी और खनिजों की आपूर्ति को लेकर प्रतिस्पर्धा तेज हुई है।
चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि “हम वैश्विक बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है।” यह स्पष्ट करता है कि बीजिंग आने वाले समय में रणनीतिक संसाधनों को कूटनीतिक और आर्थिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर सकता है।
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