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दो वकीलों ने अटॉर्नी जनरल को लिखा पत्र, न्यायपालिका पर टिप्पणी को लेकर संजीव सन्याल के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की मांग

दो अधिवक्ताओं ने अटॉर्नी जनरल से संजीव सन्याल के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की अनुमति मांगी। आरोप है कि उनकी टिप्पणी से न्यायपालिका की गरिमा और जनता का विश्वास प्रभावित हुआ है।

न्यायपालिका पर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर दो अधिवक्ताओं ने अटॉर्नी जनरल (AG) को पत्र लिखकर संजीव सन्याल के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मांगी है। दोनों वकीलों का कहना है कि सन्याल की टिप्पणी ने अदालतों की गरिमा और स्वतंत्रता को ठेस पहुंचाई है, जो संविधान द्वारा प्रदत्त न्याय व्यवस्था पर सीधा प्रहार है।

पत्र में कहा गया है कि संजीव सन्याल, जो एक प्रमुख अर्थशास्त्री और नीति आयोग के सदस्य हैं, ने हाल ही में न्यायपालिका की कार्यप्रणाली और निर्णयों पर ऐसी टिप्पणी की, जिससे आम जनता के बीच अदालतों की विश्वसनीयता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि यह अवमानना अधिनियम के अंतर्गत आता है और इस पर न्यायिक कार्रवाई आवश्यक है।

दोनों अधिवक्ताओं ने अटॉर्नी जनरल से आग्रह किया है कि वे इस मामले में अपनी सहमति दें ताकि सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की जा सके। उनका कहना है कि न्यायपालिका के खिलाफ इस तरह की सार्वजनिक टिप्पणियाँ लोकतांत्रिक संस्थाओं की नींव को कमजोर करती हैं और लोगों के विश्वास को हिला सकती हैं।

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इस पत्र के सार्वजनिक होने के बाद कानूनी हलकों में बहस तेज हो गई है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और न्यायपालिका की गरिमा के बीच संतुलन जरूरी है, वहीं अन्य का कहना है कि ऐसी टिप्पणियों को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि अटॉर्नी जनरल इस मामले में क्या निर्णय लेते हैं।

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