अदालत ने बिरला कॉरपोरेशन को प्रस्ताव पर मतदान से रोका
कोलकाता अदालत ने बिरला कॉरपोरेशन को AGM में नए अनुच्छेदों पर मतदान से रोक दिया। अदालत ने कहा कि यह मुद्दा आगे की सुनवाई तक वोटिंग के लिए पेश नहीं होगा।
कोलकाता की एक अदालत ने बिरला कॉरपोरेशन को आगामी वार्षिक आम बैठक (AGM) में नए अनुच्छेदों (Articles of Association) पर मतदान कराने से रोक दिया है। अदालत ने यह आदेश कंपनी के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें कहा गया था कि प्रस्तावित बदलाव कंपनी के मौजूदा ढांचे और प्रबंधन अधिकारों पर गंभीर असर डाल सकते हैं।
बिरला कॉरपोरेशन, एमपी बिरला समूह की प्रमुख कंपनी है और इसका कारोबार सीमेंट, जूट, बिजली उत्पादन तथा रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में फैला हुआ है। कंपनी ने अपनी AGM में नए अनुच्छेदों पर चर्चा और मतदान का कार्यक्रम तय किया था। लेकिन याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि ये बदलाव न केवल पारदर्शिता को प्रभावित करेंगे, बल्कि कंपनी के अल्पसंख्यक शेयरधारकों के हितों को भी नुकसान पहुँचा सकते हैं।
अदालत ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा कि AGM में इस मुद्दे को मतदान के लिए नहीं रखा जाएगा। हालांकि, अन्य निर्धारित कार्यवाही सामान्य रूप से की जा सकती है। अदालत ने कंपनी को यह भी निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ताओं के तर्कों और कंपनी की आवश्यकताओं पर विस्तृत जवाब दाखिल करे, ताकि आगे की सुनवाई में सभी पहलुओं पर विचार किया जा सके।
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इस फैसले से कंपनी प्रबंधन और शेयरधारकों के बीच खींचतान और गहरी हो सकती है। उद्योग जगत के जानकारों का मानना है कि यह मामला कॉरपोरेट गवर्नेंस और प्रबंधन अधिकारों से जुड़े बड़े सवाल खड़ा करता है। आने वाले समय में अदालत की अगली सुनवाई कंपनी के भविष्य की दिशा तय करने में अहम साबित हो सकती है।
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