दिल्ली के दो डाक इमारतों की विपरीत कहानी: गोल डाक घर और सिविल लाइंस
दिल्ली के गोल डाक घर और सिविल लाइंस पोस्ट ऑफिस की कथाएं विपरीत हैं। एक ऐतिहासिक विरासत, दूसरी सक्रिय आधुनिक डाक सुविधा, दोनों शहर के डाक इतिहास को दर्शाती हैं।
दिल्ली में डाक इतिहास के दो महत्वपूर्ण स्मारक हैं: गोल डाक घर (Gol Dak Khana) और सिविल लाइंस पोस्ट ऑफिस। ये दोनों इमारतें एक ही उद्देश्य—डाक सेवा—के लिए बनाई गई थीं, लेकिन इनके हालात और उपयोग में अंतर ने उन्हें विपरीत कथाएं बना दी हैं।
गोल डाक घर, जो शहर के पुराने हिस्से में स्थित है, अपनी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के कारण विशेष है। ब्रिटिश काल के दौरान बनाए गए इस भवन में गोल आकार की संरचना और विशिष्ट खिड़कियाँ हैं। हालांकि, आज यह इमारत अल्प सक्रिय उपयोग में है और केवल कुछ डाक संचालन ही यहां होते हैं। कई पर्यटक और इतिहास प्रेमी इसे देखने आते हैं, लेकिन संरचना की देखभाल में कमी और आधुनिक उपयोग की सीमाओं ने इसे अधूरी विरासत बना दिया है।
इसके विपरीत, सिविल लाइंस पोस्ट ऑफिस आज भी एक सक्रिय और आधुनिक डाक केंद्र के रूप में कार्यरत है। यहाँ डाक वितरण, पार्सल सेवा और अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस कार्यालय ने समय के साथ अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं को अपडेट किया, जिससे यह शहर के निवासियों के लिए दैनिक उपयोग का महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि यह दो इमारतें पुराने और नए भारत के डाक ढांचे की कहानी बयान करती हैं। गोल डाक घर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, जबकि सिविल लाइंस कार्यालय व्यावहारिक और सामयिक आवश्यकताओं को पूरा करता है।
इतिहास और आधुनिकता के इस विरोधाभास ने दिल्ली की डाक सेवा की विविधता और विकास को स्पष्ट रूप से दर्शाया है।
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