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संयुक्त राष्ट्र महासभा में एर्दोगान ने फिर उठाया कश्मीर मुद्दा

तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दा उठाया, संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों और संवाद के आधार पर समाधान की अपील की; भारत इसे आंतरिक मामला मानता है।

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के मंच से एक बार फिर कश्मीर मुद्दा उठाया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि कश्मीर समस्या का समाधान संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और शांतिपूर्ण संवाद के माध्यम से किया जाना चाहिए, ताकि कश्मीर के भाई-बहनों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित हो सके।

एर्दोगान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे कश्मीर विवाद को नज़रअंदाज़ न करें और इसके स्थायी समाधान की दिशा में कदम उठाएं। उन्होंने इसे मानवता और न्याय का मामला बताते हुए कहा कि क्षेत्र में स्थिरता और शांति के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच सार्थक वार्ता बेहद आवश्यक है।

यह पहली बार नहीं है जब एर्दोगान ने संयुक्त राष्ट्र मंच से कश्मीर का मुद्दा उठाया है। पिछले वर्षों में भी उन्होंने इसी तरह की टिप्पणी की थी, जिसे भारत ने सख्ती से खारिज किया था। भारत का मानना है कि कश्मीर उसका आंतरिक मामला है और किसी भी तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी स्वीकार्य नहीं है।

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विशेषज्ञों का मानना है कि एर्दोगान की यह टिप्पणी तुर्की की विदेश नीति में दक्षिण एशिया पर विशेष ध्यान को दर्शाती है। वहीं, भारतीय पक्ष को उम्मीद है कि इस तरह के बयान अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित नहीं करेंगे।

एर्दोगान का यह बयान ऐसे समय में आया है जब संयुक्त राष्ट्र महासभा में कई वैश्विक नेताओं ने शांति, स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर ज़ोर दिया। हालांकि, कश्मीर मुद्दे पर उनकी टिप्पणी ने एक बार फिर भारत-तुर्की संबंधों में संवेदनशीलता को उजागर कर दिया है।

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