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गीताांजलि अंग्मो की निगरानी पर सवाल: क्या एनएसए बंदी के परिवार की आज़ादी भी छिन जाती है?

सोनम वांगचुक की पत्नी गीताांजलि अंग्मो ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनकी हर गतिविधि पर निगरानी की जा रही है, जिससे उनके मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है।

पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीताांजलि अंग्मो ने सुप्रीम कोर्ट में एक गंभीर शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य एजेंसियां उनकी हर गतिविधि पर निगरानी रख रही हैं और उनकी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह उनके “भारत के एक स्वतंत्र नागरिक के रूप में मौलिक अधिकारों” का उल्लंघन है।

गीताांजलि अंग्मो ने बताया कि जब वह जोधपुर गईं, तो उन्हें किसी से मिलने की अनुमति नहीं दी गई और उनकी सभी मुलाकातें सुरक्षा कर्मियों की मौजूदगी में हुईं। उन्होंने दावा किया कि उन्हें रेलवे स्टेशन तक “ले जाया गया” और दिल्ली में उनकी गतिविधियों की “लगातार निगरानी” की गई। उन्होंने कहा कि यह सब उनके निजी जीवन और स्वतंत्रता में अनुचित हस्तक्षेप है।

उनकी इस याचिका ने यह महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया है कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत बंदी बनाए गए व्यक्ति के परिवार के सदस्यों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आवागमन का अधिकार भी प्रभावित हो सकता है।

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सोनम वांगचुक को 24 सितंबर को लेह में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद एनएसए, 1980 के तहत हिरासत में लिया गया था। उन्हें अब जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया है।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अंग्मो के आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह संविधान के अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार) का उल्लंघन होगा। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला अब नागरिक स्वतंत्रता और राज्य की निगरानी की सीमाओं को लेकर एक नई बहस को जन्म दे सकता है।

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