विशाखापट्टनम में गूगल-अडाणी डेटा सेंटर बनेगा पर्यावरण, पानी और बिजली संकट का नया खतरा: एचआरएफ
एचआरएफ ने चेतावनी दी है कि विशाखापट्टनम और अनकापल्ली में गूगल-अडाणी डेटा सेंटर परियोजना से पानी, बिजली और पर्यावरण संकट गहराएगा, जिससे स्थानीय निवासियों को गंभीर खतरा है।
आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा विशाखापट्टनम और अनकापल्ली जिलों में अरबों डॉलर के निवेश से गूगल-अडाणी डेटा सेंटर कॉम्प्लेक्स बनाने की अनुमति देने पर ह्यूमन राइट्स फोरम (एचआरएफ) ने गंभीर आपत्ति जताई है। संगठन ने कहा कि यह क्षेत्र जलवायु-संवेदनशील और चक्रवात-प्रवण तटीय इलाका है, जहां पहले से ही अनियंत्रित रियल एस्टेट विकास ने पेड़ों की कटाई और प्राकृतिक जल निकासी को नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में इतने बड़े, ऊर्जा-गहन प्रोजेक्ट की स्थापना पर्यावरणीय रूप से लापरवाही है।
राज्य सरकार ने इस परियोजना के लिए कुल 480 एकड़ भूमि आवंटित की है—जिसमें 200 एकड़ तारलुवाडा, 120 एकड़ अदवीवरम और मुदसर्लोवा गांवों में, तथा 160 एकड़ रामबिल्ली (अनकापल्ली) में दी गई है। एचआरएफ ने चेतावनी दी कि इस पैमाने के डेटा सेंटर अत्यधिक जल और ऊर्जा का उपभोग करते हैं, जो स्थानीय जल संकट को और बढ़ाएगा।
एचआरएफ प्रतिनिधियों वाई. राजेश और वी.एस. कृष्णा ने कहा कि यह परियोजना न तो बड़े रोजगार देगी और न ही हरित विकास को बढ़ावा। विश्वभर के उदाहरण दिखाते हैं कि ऐसे डेटा सेंटर सीमित नौकरियां देते हैं, जबकि विशाल बिजली, पानी और भूमि संसाधन हड़पते हैं। विशाखापट्टनम जैसी गर्म जलवायु में यह परियोजना भूजल स्तर गिराएगी, प्रदूषण बढ़ाएगी और बिजली ग्रिड पर भारी दबाव डालेगी। एचआरएफ ने कहा कि 100% नवीकरणीय ऊर्जा का दावा झूठा है, क्योंकि ऐसा प्रोजेक्ट जीवाश्म ईंधन पर ही निर्भर रहेगा और वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को कमजोर करेगा।
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