अदालत में चुनौतियों के बावजूद ग्रेट निकोबार परियोजना को जबरन आगे बढ़ाया जा रहा है: जयराम रमेश
जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि सरकार अदालतों में लंबित चुनौतियों और पर्यावरणीय आपत्तियों के बावजूद ग्रेट निकोबार परियोजना को आगे बढ़ा रही है, जिससे पारिस्थितिकी और स्थानीय समुदायों को भारी नुकसान होगा।
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने आरोप लगाया है कि सरकार अदालतों में लंबित कानूनी चुनौतियों और पर्यावरणीय आपत्तियों के बावजूद ग्रेट निकोबार परियोजना को तेज़ी से आगे बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना पर्यावरण, स्थानीय समुदायों और जैव विविधता के लिए गंभीर खतरा है।
रमेश ने कहा कि वह पहले भी कई बार पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री को इस मुद्दे पर पत्र लिखकर चेतावनी दे चुके हैं, लेकिन सरकार इस परियोजना को मंजूरी देने और लागू करने की दिशा में ज़बरदस्त दबाव बना रही है। उनके अनुसार, इतनी संवेदनशील पारिस्थितिकीय क्षेत्र में इस प्रकार का औद्योगिक और अवसंरचनात्मक विकास न केवल पर्यावरण को क्षति पहुँचाएगा बल्कि आदिवासी समुदायों के जीवन और संस्कृति को भी प्रभावित करेगा।
उन्होंने दावा किया कि इस परियोजना से तटीय क्षेत्रों, समुद्री जीवन और निकोबार द्वीप समूह की विशिष्ट पारिस्थितिकी को अपूरणीय नुकसान होगा। रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में इस परियोजना से संबंधित कई याचिकाएँ लंबित हैं, फिर भी सरकार बिना पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया पूरी किए, इसे "बुलडोज़" कर रही है।
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कांग्रेस नेता ने सरकार से अपील की कि वह विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए और स्थानीय समुदायों को विश्वास में लेकर ही कोई बड़ा कदम उठाए। उन्होंने यह भी कहा कि सतत विकास की अवधारणा केवल कागजों तक सीमित न रहे, बल्कि वास्तविक नीति और कार्यान्वयन में झलके।
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