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भारत को खाद्य उत्पादन में विविधता लाने के लिए अधिक निवेश करने की ज़रूरत: FAO मुख्य अर्थशास्त्री

FAO मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा कि भारत को अनाज आधारित उत्पादन से हटकर दालों और उच्च मूल्य वाली फसलों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि पोषण और किसानों की आय दोनों बढ़ सकें।

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के मुख्य अर्थशास्त्री मैक्सिमो टोरेरो कुल्लेन ने कहा है कि भारत को अपने खाद्य उत्पादन में तेज़ी से विविधता लाने की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को पारंपरिक अनाज आधारित उत्पादन से उच्च मूल्य वाले खाद्य उत्पादों की ओर कदम बढ़ाना चाहिए।

कुल्लेन का मानना है कि भारत की वर्तमान खाद्य उत्पादन प्रणाली मुख्य रूप से गेहूँ और चावल जैसे अनाजों पर आधारित है, जबकि बदलते पोषण मानकों और स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए ज्यादा पौष्टिक और प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों की ओर ध्यान देने की ज़रूरत है। उन्होंने विशेष रूप से दालों (pulses) का उल्लेख किया और कहा कि ये अधिक पोषण देने वाली हैं और इनमें प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है।

उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारत अपने कृषि क्षेत्र को अधिक विविध और संतुलित बनाएगा तो न केवल घरेलू पोषण सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि निर्यात की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। उच्च मूल्य वाली फसलें जैसे फल, सब्जियाँ, और दालें किसानों की आय में भी वृद्धि कर सकती हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान कर सकती हैं।

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FAO विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और बदलते वैश्विक खाद्य परिदृश्य के मद्देनज़र भारत को खाद्य उत्पादन के क्षेत्र में नई रणनीति अपनाने की आवश्यकता है। केवल अनाजों पर अत्यधिक निर्भरता देश की पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने में पर्याप्त नहीं होगी।

कुल्लेन ने भारत सरकार और नीति निर्माताओं से अपील की है कि वे किसानों को प्रोत्साहन, तकनीकी सहयोग और निवेश प्रदान करें ताकि खाद्य उत्पादन अधिक विविध, टिकाऊ और पोषणयुक्त बन सके।

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