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यूरोपीय प्रतिबंधों पर भारत की दो टूक: एकतरफा कदमों का समर्थन नहीं

भारत ने यूरोपीय संघ द्वारा रूस पर लगाए गए नए प्रतिबंधों को लेकर साफ कहा है कि वह किसी भी एकतरफा कदम का समर्थन नहीं करता। सरकार ने ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता बताते हुए दोहरे मापदंडों से परहेज की बात कही।

यूरोपीय संघ द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते रूस पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के बीच भारत ने स्पष्ट किया है कि वह किसी भी एकतरफा प्रतिबंध का समर्थन नहीं करता।

 

विदेश मंत्रालय (MEA) ने यह बयान तब दिया जब EU ने 18वें चरण के प्रतिबंधों की घोषणा की, जिसमें खासतौर पर रूस की ऊर्जा आय को निशाना बनाया गया है। इस पैकेज में गुजरात स्थित नायरा एनर्जी की वाडीनार रिफाइनरी को भी नामित किया गया है, जिसमें रूसी ऊर्जा कंपनी रोसनेफ्ट की बड़ी हिस्सेदारी है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, “भारत किसी भी एकतरफा प्रतिबंधात्मक उपायों को नहीं मानता। हमने यूरोपीय संघ द्वारा घोषित नवीनतम प्रतिबंधों को नोट किया है।”

उन्होंने आगे कहा कि भारत एक जिम्मेदार देश है और वह अपने सभी कानूनी दायित्वों के प्रति प्रतिबद्ध है। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऊर्जा सुरक्षा भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में है ताकि देश के नागरिकों की बुनियादी ज़रूरतें पूरी हो सकें।

यूरोपीय संघ की विदेश और सुरक्षा नीति प्रमुख काजा कैलास ने सोशल मीडिया पर कहा कि यह अब तक के सबसे सख्त प्रतिबंधों में से एक है। इसमें तेल मूल्य सीमा को कम करने, भारत की सबसे बड़ी रोसनेफ्ट रिफाइनरी को नामित करने और 105 शैडो फ्लीट जहाजों पर कार्रवाई शामिल है।

भारत ने दोहराया कि ऊर्जा व्यापार के मामलों में दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए।

 
 
 
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