भारत की पहली आतंकवाद-रोधी नीति जल्द होगी जारी
केंद्र सरकार भारत की पहली आतंकवाद-रोधी नीति जल्द जारी करेगी, जिसमें डिजिटल कट्टरपंथ, सीमा दुरुपयोग और विदेशी फंडेड नेटवर्क से निपटने के लिए राज्यों को साझा ढांचा मिलेगा।
भारत सरकार देश की पहली व्यापक आतंकवाद-रोधी नीति को अंतिम रूप देने में जुटी है, जिसे जल्द ही जारी किया जाएगा। इस नीति का उद्देश्य सभी राज्यों को आतंकवाद से निपटने और आतंक से जुड़ी घटनाओं पर प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए एक साझा ढांचा (टेम्पलेट) उपलब्ध कराना है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने The Indian Witness को बताया कि यह नीति केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने में मदद करेगी।
नीति के मसौदे पर चर्चा के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर फोकस किया जा रहा है, उनमें डिजिटल कट्टरपंथ (डिजिटल रेडिकलाइजेशन), खुले या ढीले सीमा प्रबंधन का दुरुपयोग और विदेशी तत्वों द्वारा वित्तपोषित धर्मांतरण नेटवर्क शामिल हैं। सरकार का मानना है कि तकनीक और सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल के कारण युवाओं के कट्टरपंथी विचारधाराओं की ओर आकर्षित होने का खतरा बढ़ा है, जिसे रोकने के लिए ठोस रणनीति की जरूरत है।
इसके अलावा, सीमावर्ती इलाकों में अवैध गतिविधियों और आतंकवादी संगठनों द्वारा खुले मार्गों के इस्तेमाल को भी गंभीर चुनौती माना गया है। नीति में खुफिया जानकारी साझा करने, समय रहते कार्रवाई, वित्तीय नेटवर्क की निगरानी और कानूनी ढांचे को मजबूत करने जैसे उपायों पर भी जोर दिए जाने की संभावना है।
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गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी नीति और रणनीति जल्द पेश की जाएगी। प्रस्तावित नीति न केवल आतंकवादी हमलों की रोकथाम पर केंद्रित होगी, बल्कि किसी भी घटना के बाद त्वरित और समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश भी तय करेगी।
सरकार का कहना है कि इस नीति के लागू होने से राज्यों को स्पष्ट दिशा मिलेगी और देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत किया जा सकेगा।
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