जापान में चुनावी उलटफेर की आहट: 'जापान-प्रथम' एजेंडा लेकर उभरी नई दक्षिणपंथी पार्टी
जापान में आर्थिक संकट और विदेशी प्रवासियों पर बढ़ती चिंता के बीच रविवार को मतदान हो रहा है। दक्षिणपंथी Sanseito पार्टी लोकप्रियता बटोर रही है, जो जापान-प्रथम एजेंडे और आप्रवासन विरोधी रुख के साथ मुख्यधारा में प्रवेश कर रही है।
जापान में रविवार को होने वाले उच्च सदन के चुनावों में मतदाता आर्थिक दबाव और भविष्य को लेकर बढ़ती निराशा के बीच मतदान करने जा रहे हैं। ऐसे माहौल में एक नई दक्षिणपंथी पार्टी Sanseito तेजी से लोकप्रिय हो रही है, जो "जापान-प्रथम" एजेंडे के साथ आप्रवासन का खुलकर विरोध कर रही है।
कोविड-19 महामारी के दौरान यूट्यूब पर साजिश सिद्धांतों के प्रचार के साथ शुरू हुई Sanseito पार्टी अब मुख्यधारा की राजनीति में जगह बनाती दिख रही है। इसके समर्थकों में अधिकांश युवा और पहली बार वोट देने वाले लोग हैं, जो पारंपरिक पार्टियों से निराश हैं।
हालिया सर्वेक्षणों में यह पार्टी 125 में से 10 से 15 सीटें जीत सकती है। भले ही यह संख्या बड़ी न हो, लेकिन प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा की अल्पमत सरकार की स्थिति और कमजोर हो सकती है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) को करारी हार मिलती है, तो इशिबा की कुर्सी जाना तय है। वहीं, Sanseito की मजबूत उपस्थिति जापानी राजनीति के संतुलन को झटका दे सकती है।
आर्थिक असंतुलन पार्टी की लोकप्रियता का प्रमुख कारण है। महंगाई और कमजोर येन ने खासकर खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ा दिए हैं — सिर्फ चावल की कीमतें ही जून तक लगभग दोगुनी हो गईं, जिससे एक मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा।
Sanseito के घोषणापत्र में पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों की वापसी, LGBT कानून को निरस्त करना, अप्रवास पर रोक और हर बच्चे के लिए 1 लाख येन की मासिक सहायता शामिल है। साथ ही, विदेशी नागरिकों को सामाजिक सहायता बंद करने की भी बात कही गई है।
पार्टी प्रमुख सोहेई कामिया, जो पहले एक सुपरमार्केट मैनेजर और अंग्रेज़ी शिक्षक थे, अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप से प्रेरणा लेते हैं और खुलकर प्रवासी-विरोधी रुख अपनाते हैं। उनका कहना है कि “पहले इमिग्रेशन पर बोलने वालों को वामपंथी जमात ने दबा दिया, अब हमारी बात को समर्थन भी मिल रहा है।”
हालांकि जापान की जनसंख्या घटने और वृद्ध होती जनसंख्या के चलते सरकार ने इमिग्रेशन नीतियों में ढील दी है। देश में अब 38 लाख विदेशी मूल निवासी हैं – जो कुल जनसंख्या का सिर्फ 3% हैं, फिर भी कुछ वर्गों में असंतोष है।
सोशल मीडिया पर फैली झूठी जानकारी — जैसे कि "हर तीसरा कल्याण लाभ पाने वाला विदेशी है" — इस असंतोष को और हवा दे रही है।
कामिया ने हालांकि सार्वजनिक मंचों पर कहा है कि पार्टी अतिवादी राष्ट्रवाद या संरक्षणवाद की पक्षधर नहीं है, बल्कि सीमित मुक्त व्यापार और वैश्विक समरसता की बात करती है।
अब पार्टी 20 सीटें जीतने का दावा कर रही है जिससे वो बजट वाले बिल संसद में पेश कर सके। विश्लेषक माइकल क्यूसेक मानते हैं कि यह संख्या भले ही 10 से 15 के बीच ही रहे, लेकिन इससे नीति निर्धारण पर असर जरूर पड़ेगा।
LDP पहले ही Sanseito की बढ़त को देखते हुए प्रवासियों पर सख्ती का वादा कर चुकी है। अगर इशिबा की हार होती है और परंपरावादी वोट Sanseito की ओर झुकते हैं, तो यह 1955 से चली आ रही LDP की सत्ता की पकड़ को भी डगमगा सकता है।