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चीन के क़ानून को समझने वाले अमेरिकी दिग्गज वकील जेरोम कोहेन का निधन

जेरोम कोहेन, चीन की विधि व्यवस्था के अग्रणी अमेरिकी विद्वान और मानवाधिकारों के प्रखर समर्थक, का 95 वर्ष की आयु में निधन हुआ। उनका योगदान ऐतिहासिक माना जाता है।

अमेरिकी वकील और विद्वान जेरोम ए. कोहेन, जिन्होंने चीन की जटिल और अपारदर्शी न्यायिक व्यवस्था का गहन अध्ययन कर इसे दुनिया के सामने उजागर किया, का मैनहैटन स्थित घर पर निधन हो गया। उनकी उम्र 95 वर्ष थी।

उनके पुत्र इथन और पीटर ने उनके निधन की पुष्टि की।

जेरोम कोहेन को चीन की विधि व्यवस्था के अध्ययन का जनक माना जाता है। यू.एस.-चाइना रिलेशन्स की नेशनल कमिटी के अध्यक्ष और उनके पूर्व छात्र स्टीफन ऑरलिन्स ने कहा, “अमेरिका में चीनी क़ानून के अध्ययन का क्षेत्र उन्हीं की देन है। ऐसा बहुत कम होता है कि किसी पूरे विषय को एक ही व्यक्ति ने आकार दिया हो।”

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कोहेन का करियर शुरू में बेहद पारंपरिक और सफल लग रहा था। उन्होंने येल लॉ स्कूल से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और दो सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीशों के सहायक रहे। इसके बाद उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में लॉ प्रोफेसर के रूप में कार्य किया और सामान्य विधि विषय पढ़ाए।

लेकिन जल्द ही उन्हें चीनी भाषा और कानून पढ़ने का अवसर मिला। यह निर्णय उनके कई सहकर्मियों को चौंकाने वाला लगा, क्योंकि उस समय चीन राजनीतिक क्रांति से गुजर रहा था और अमेरिकी नागरिकों का वहां जाना लगभग असंभव था।

भाषा सीखने के बाद कोहेन ने हांगकांग में उन चीनी नागरिकों का साक्षात्कार किया जो माओ त्से तुंग के दौर में मुख्यभूमि चीन से पलायन कर आए थे। इन साक्षात्कारों से उन्होंने अदालतों और अभियोजन प्रणाली की कार्यप्रणाली को समझा।

बाद में कोहेन ने हार्वर्ड लॉ स्कूल में पूर्वी एशियाई कानून का कार्यक्रम शुरू किया और 1964 से 1979 तक वहां फैकल्टी के सदस्य रहे। उन्होंने न सिर्फ शैक्षणिक क्षेत्र में योगदान दिया बल्कि चीन में मानवाधिकार उल्लंघनों पर भी मुखर आवाज़ उठाई।

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